66.5 व 17.98 किमी की बिछेगी दो लाइनें
खाटूश्यामजी को पलसाना व सीकर को सालासर से जोड़ने के लिए रेलवे कुल 84.03 किमी नई रेल लाइन दो हिस्सो में बिछाएगा। इनमें खाटूश्यामजी से पलसाना रेल मार्ग की कुल दूरी करीब 17.98 किमी होगी। जिसमें दो नए स्टेशन सहित कुल तीन रेलवे स्टेशन प्रस्तावित किए गए हैं। इसी तरह दूसरी लाइन रसीदपुरा से सालासर होते हुए सुजानगढ़ तक करीब 66.5 किमी लंबी होगी। जिसमें चार नए रेलवे स्टेशनों सहित कुल छह रेलवे स्टेशन प्रस्तावित किए गए हैं। नई रेल लाइन का सर्वे 1 करोड़ 12 लाख 50 हजार रूपए के बजट से हो रहा है।
खाटूश्यामजी- रींगस रेल लाइन जल्द
इधर, रींगस से खाटूश्यामजी रेल लाइन का प्रोजेक्ट भी रेलवे जल्द शुरू करेगा। 17.49 किमी की इस नई रेल लाइन के लिए 254.06 करोड़ रुपए की मंजूरी पहले से मिल चुकी है। रेलवे अब लाइन को लेकर उठे विवाद का जल्द समाधान कर प्रोजेक्ट को गति देना चाह रहा है।
खाटूश्यामजी से दो तरफा होगी रेलवे कनेक्टिविटी
रेलवे के मुताबिक खाटूश्याजी आगामी वर्षों में रींगस व पलसाना दो रेल लाइनों से जुड़ेगा। इसमें रींगस रूट पर केरपुरा से होकर लामियां रोड पर लखदातार मैदान के पास हाइटेक तरीके का रेलवे स्टेशन बनाया जाएगा। अगले चरण में खाटू रेलवे स्टेशन दांता रोड पर स्वामियों की ढाणी से खेतर स्थल के पास से वाया गोरधनपुरा पलसाना रेलवे स्टेशन तक जुड़ेगा। पलसाना से सीकर से रसीदपुर खोरी तक पहले से रेल सेवा से जुड़ा हुआ है। रेलवे ने रसीदपुर खोरी से लक्ष्मणगढ़, जाजोद, सालासर होते हुए सुजानगढ तक रेलवे लाइन का विस्तार होगा।
26 साल पहले करणी माता मंदिर तक थी योजना
शेखावाटी में रेलवे धार्मिक पर्यटन सर्किट की योजना 26 साल पहले 1999 में भी बनी थी। योजना के तहत सीकर को वाया सालासर, सुजानगढ़ व लाडनूं होते हुए नोखा से जोड़ना था। इसमें लाडनूं से सुजानगढ़ की लाइन पहले से मौजूद थी। लिहाजा सीकर को लाडनूं व सुजानगढ़ को नोखा तक रेल लाइन से जोड़ते हुए सीकर— जयपुर रेल लाइन से परोक्ष जुड़े खाटूश्यामजी व जीणमाता को सालासर, लाडनूं के जैन विश्वभारती, मुकाम स्थित गुरू जंभेश्वर के समाधि स्थल व करणी माता मंदिर तक रेलवे लाइन से जोड़कर धार्मिक पर्यटन सर्किट बनना था। कुल 16 स्टेशनों वाला रूट चूरू रेलवे लाइन से किरड़ोली, बिजयपुरा, जेवली, काछवा व नेछवा होते हुए सालासर तक तय किया गया था।
जोन बंटवारे से अटका था प्रोजेक्ट
उत्तर रेलवे द्वारा किए गए सर्वे के बाद 2002 में रेलवे के 9 से 16 जोन हो गए। इसके बाद बीकानेर, जोधपुर, जयपुर व अजमेर मंडल का अलग उत्तर पश्चिमी जोन बन गया। इससे प्रोजेक्ट के क्षेत्राधिकार के फेर में मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इसके अलावा कमजोर राजनीतिक इच्छा शक्ति की वजह से भी प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ पाया।
प्रोजेक्ट से ये होगा फायदा
1. सुजानगढ़ से जुड़ने के बाद रेलवे नोखा तक रेल लाइन बिछाकर सीकर से बीकानेर तक के सभी धार्मिक स्थलों को जोड़ सकता है। सीकर से नोखा की दूरी 50 किमी तक कम हो सकती है।2. खाटूश्यामजी, जीणमाता व सालासर दर्शनों के लिए देशभर से श्रद्धालु आते हैं। अभी वे इन तीर्थस्थानों की यात्रा सड़क मार्ग से करते हैं। रेल सेवा से ये सफर सस्ता व आसान हो जाएगा।
3. शेखावाटी में नई रेल लाइन व यात्रियों की आवाजाही से अर्थव्यवस्था को फायदा होगा। नए रेलवे स्टेशनों पर भी लोगों को रोजगार मिल सकेगा।
इनका कहना है:-
खाटूश्यामजी से रींगस के बाद उत्तर पश्चिमी रेलवे दूसरे चरण का फाइनल लोकेशन सर्वे कर रहा है। परियोजना के तहत खाटूश्यामजी-पलसाना के 17.98 किमी और रशीदपुरा से सुजानगढ़ तक करीब 66.5 किमी रेललाइन का सर्वे किया जा रहा है। बोर्ड को उसकी रिपोर्ट भेजने के बाद इस पर आगे काम होगा।