फिर बेशर्म प्रशासन ने शहीद वीरांगना को आवंटित सरकारी आवास खाली करवाकर 15 हजार रुपए मासिक किराये की दर से 2.40 लाख रुपए की रिकवरी निकाल दी। इसे जमा नहीं करवाने पर एनओसी अटकाकर सार्वजनिक निर्माण विभाग ने उनकी पारिवारिक पेंशन का रास्ता रोक रखा है। बार- बार की गुहार के बाद भी सुनवाई नहीं होने पर उनके विधिक संरक्षक मामा ने अब दोनों बच्चों के साथ कलेक्ट्रेट पर भीख मांगने का फैसला लिया है।
चार साल पहले हुआ वीरांगना का निधन
शहीद सुलतानसिंह की वीरांगना पत्नी सजना देवी को 2010 में सार्वजनिक निर्माण विभाग के गुण नियंत्रण खंड कार्यालय में अनुकंपा नियुक्ति मिली थी। फतेहपुर रोड पर सरकारी आवास आवंटन होने पर दो नाबालिक बेटों अमित व सचिन तथा बुजुर्ग बेवा सास के साथ वह उसमें रहने लगी। इसी बीच कोरोना काल में 31 अक्टूबर 2021 को वीरांगना भी चल बसी। इसके बाद परिवार के सामने समस्या हो गई।
कलक्टर के आदेश पर रुके, निकाली रिकवरी
दोनों नाबालिगों के पास रहने की व्यवस्था नहीं होने पर जिला सैनिक अधिकारी की अनुशंसा पर तत्कालीन कलक्टर एलएन सोनी ने सरकारी आवास आगामी आदेश तक खाली नहीं करवाने के निर्देश दिए। इस पर परिवार वहीं रहने लगा, लेकिन विभागीय कर्मचारियों के पीछा नहीं छोड़ने पर 17 जुलाई 2023 को आवास खाली कर दोनों नाबालिग अपनी दादी के साथ विधिक संरक्षक मामा सुभाष के संरक्षण में रहने लगे। इसी बीच पारिवारिक पेंशन के लिए आवेदन करने पर सार्वजनिक निर्माण विभाग ने आवास का 21 महीने का 2.40 लाख रुपए किराया मांग एनओसी रोक ली। तब से उनकी पारिवारिक पेंशन अटकी हुई है।
नियम विरुद्ध नोटिस
बच्चों के संरक्षक (मामा) एडवोकेट सुभाषचंद ने बताया कि राजकीय आवास आवंटन नियम 1958 के अनुसार किसी भी कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसके बच्चे तब तक सरकारी आवास में रह सकते हैं, जब वे बालिग ना हो। इसके बावजूद भी विभाग दोनों नाबालिगों को आवास खाली करवाने का नोटिस देते रहे।
वीरांगना ने किया था स्मारक के लिए संघर्ष
इससे पहले शहीद की वीरांगना सजना देवी ने भी पति के शहीद स्मारक के लिए लंबा संघर्ष किया था। प्रशासन की ओर से शहीद स्मारक की जगह आवंटित नहीं करने पर सजना देवी नौ साल तक शासन व प्रशासन से जूझी थी। तब जाकर गांव में जगह आवंटित हुई थी। बागरियावास में शहीद सुलतानसिंह का स्मारक है।
कलक्टर को पत्र भेजकर दी चेतावनी
शहीद के बच्चों के संरक्षक सुभाषचंद ने बताया कि अमित एमबीबीएस प्रथम वर्ष व सचिन 11वीं में पढ़ रहा है। दोनों के पास आय का कोई जरिया नहीं है। ऐसे में जिला कलक्टर को ज्ञापन देकर राजकीय दर का वाजिब किराया लागू करने की मांग की गई है। उन्होंने बताया कि समस्या का जल्द समाधान नहीं हुआ तो मजबूरीवश दोनों भांजों से कलेक्ट्रेट पर भीख मंगवाएंगे।
बहादुरी पर शहीद को मिला था सेना मेडल
बागरियावास निवासी जाट रेजिमेंट के सिपाही सुल्तान सिंह 22 अगस्त 2008 में कूपवाड़ा में एक आपरेशन के दौरान शहीद हुए थे। आतंकी हमले में रेजिमेंट कमांडेट अधिकारी को बचाने के प्रयास में वे दुश्मन की गोली का शिकार हो गए थे। उनकी बहादुरी व अदय साहस के लिए राष्ट्रपति ने मरणोपरांत उन्हें सेना मेडल से समानित किया था।