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Mother’s Day: शहीद पति का दर्द भुलाकर बच्चों को सेना में भेजा, कहा- देश से बड़ा कोई धर्म नहीं; जानें ऐसी वीरांगनाओं की कहानी

मदर्स डे पर ऐसी माताओं की कहानी… जिन्होंने शहीद पति का दर्द भुलाकर देश की खातिर अपने बेटे-बेटियों को सरहद पर भेजने का हौसला दिखाया।

सीकरMay 11, 2025 / 08:50 am

Lokendra Sainger

mother's day special

mother’s day special

मां वह है जो अपने दर्द को भुलाकर बच्चों के सपनों को पंख देती है। वह थकती नहीं, हारती नहीं, बल्कि हर मुश्किल में अपने बच्चों के लिए ढाल बनकर खड़ी रहती है। इस मदर्स-डे पर हम ऐसी माताओं की कहानी लेकर आए हैं, जिन्होंने पति को खोने का दुख सहा, फिर भी देश की खातिर अपने बेटे-बेटियों को सरहद पर भेजने का हौसला दिखाया। इन माताओं ने न केवल अपने बच्चों को सेना में जाने के लिए प्रेरित किया, बल्कि अभावों और चुनौतियों के बीच उनके सपनों को साकार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इन माताओं के लिए देश की सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं।

बेटी को बनाया मेजर

अजीतगढ़ के सांवलपुरा शेखावतान की वीरांगना मधु शर्मा की जिंदगी उस वक्त थम सी गई थी, जब उनके पति पूरणमल शर्मा जुलाई 2009 को सियाचिन में शहीद हो गए। मधु ने बताया कि उस पल लगा कि सब खत्म हो गया, लेकिन फिर ध्यान आया कि दुश्मन से बदला लेना है। यह जिम्मा तो बच्चों को ही सौंपना है। मधु ने अपनी बेटी अंजू शर्मा को सेना में जाने के लिए प्रेरित किया। आज अंजू सेना में मेजर के पद पर तैनात हैं। मधु का बेटा मनीष शर्मा भी सरहद पर जाने की तैयारी कर रहा है।

होश आया तो बॉर्डर पर जाने की जताई इच्छा

कोटा की एक और मां सुभद्रा की कहानी दिल को छू लेती है। उनके बेटे चेतन चीता ने आतंकियों से लोहा लेते हुए 9 गोलियां खाईं और 45 दिन तक कोमा में रहे। होश में आए तो बॉर्डर पर जाने की इच्छा जताई। वे कहती हैं, मेरे पति रामगोपाल बेटे को आइएएस बनाना चाहते थे, लेकिन बेटे के दिल में देशभक्ति की भावना गहरी थी। जब वह सीआरपीएफ में भर्ती हुए तो मां से इजाजत ली। वे हर मां को प्रेरित करती हैं कि अपने बच्चों को सेना में जाने के लिए प्रोत्साहित करें, क्योंकि भारतीय सेना से बड़ा कोई गौरव नहीं।

सौंपी पिता की विरासत

लक्ष्मणगढ़ के खीरवा की राबिया बानो की कहानी भी कम प्रेरक नहीं है। उनके पति सूबेदार लियाकत अली पठान जुलाई 2002 को जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन पराक्रम के दौरान शहीद हो गए। इस दुख को सहते हुए राबिया ने बेटों को पिता की तरह देश सेवा की राह पर चलने के लिए प्रोत्साहित किया। उनका बेटा हवलदार इफ्तेखार पठान 29 राष्ट्रीय राइफल्स में जम्मू-कश्मीर में तैनात है, जबकि दूसरा बेटा अरशद अयूब पठान जोधपुर के सैनिक कल्याण विभाग में सहायक प्रशासनिक अधिकारी के रूप में कार्यरत है।

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