संबंधित विकास प्राधिकरण, नगर विकास न्यास, नगरीय निकायों से जानकारी मांगी हैं, जिससे इस दिशा में भी केन्द्र स्तर पर भी बात की जा सके। सूत्रों के अनुसार, एशियन डवलपमेंट बैंक से 15-16 हजार करोड़ के लोन की चल रही प्रक्रिया को पिछले दिनों सरकार ने आगे बढ़ाया है। इसमें सड़क, ड्रेनेज, सीवरेज के सुदृढी़करण के काम तो होंगे ही, साथ ही शहर में परिवहन कनेक्टिविटी, औद्योगिक डवलपमेंट पर भी काम किया जाएगा।
इससे स्थानीय स्तर पर भी निवेशकों का जुड़ाव होगा, जिससे रोजगार का दायरा भी बढ़ेगा। इस तरह के डवलपमेंट से बड़े शहरों की तरफ पलायन कम या रुकने की संभावना भी बनेगी। नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन विभाग ने लोन और इस संबंध में आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के अधीन आर्थिक कार्य विभाग के अधिकारियों से भी चर्चा की है।
क्यों जरूरी है सैटेलाइट टाउन डवलपमेंट
शहरों पर आबादी का बोझ कम करने के लिए सैटेलाइट टाउन कंसेप्ट लाया गया। इन्हें छोटे शहर के रूप में विकसित करने का प्लान है। स्थानीय लोगों को रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन, बड़े पार्क, शॉपिंग सेंटर, मॉल्स व अन्य जुड़ी सुविधा वहीं मिले। स्थानीय लोगों को व्यापार, चिकित्सा, पढ़ाई के लिए शहरों की तरफ मुंह नहीं ताकना पड़े। सरकारें मास्टर प्लान में सैटेलाइट टाउन शामिल तो करती गईं, लेकिन आज तक डवलपमेंट नहीं हो पाया है।
ये है डवलपमेंट प्रस्ताव
पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के जरिये 24 घंटे पेयजल आपूर्ति। सीवरेज सुविधा उपलब्ध कराने, इंडस्ट्रियल और कृषि के लिए परिशोधित पानी की उपलब्धता। ठोस कचरा प्रबंधन को प्रभावी तरीके से लागू करते हुए जीरो वेस्ट मॉडल पर काम होगा। बायोमेडिकल वेस्ट व हानिकारक अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार विरासत को सहेजने, मनोरंजन सुविधाएं विकसित करने, सौन्दर्यन, चिकित्सा सुविधाएं बढ़ाने पर काम। रोड लाइट के लिए सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने, इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जिंग स्टेशन स्थापित करना।
ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी की दिशा में काम। ट्रैफिक जाम से राहत दिलाने, सड़कों की री-मॉडलिंग, पार्किंग स्थलों का निर्माण। बस स्टैंड डवलपमेंट, सिटी ट्रांसपोर्ट सिस्टम और इंटर सिटी ट्रांसपोर्ट सिस्टम में सुधार।