वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार यह बाघिन सुल्ताना यानि टी-107 थी, जो आडा बालाजी और मिश्र दर्रा के पास घूमती नजर आई। इस दौरान वह सड़क क्रॉस कर जंगल की ओर चली गई। गौरतलब है कि शनिवार को भी एक बाघ रणथम्भौर रोड स्थित अमरेश्वर महादेव मंदिर के पास वन विभाग की सुरक्षा दीवार पर आ गया था।
मासूम को शिकार बना चुका है बाघ
बता दें कि 16 अप्रैल को एक मासूम को बाघ ने इसी मार्ग पर शिकार बना लिया था। इसके बाद वन विभाग ने मार्ग को नौ दिनों तक बंद कर दिया था और सुरक्षा पुख्ता करने का दावा किया था। पिछले दिनों सिंहद्वार पर बाघ देखे जाने पर भय का माहौल बन गया। इस इलाके में 17 बाघ-बाघिन और शावकों की आवाजाही होने से गणेश मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा पर खतरा बना हुआ है। बाघ, बाघिन और शावकों की यहां मौजूदगी के मद्देनजर किसी अनहोनी की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता है। जंगल में 17-18 बाघों का आवास
स्थानीय जानकारों के अनुसार रणथंभौर किले और मंदिर मार्ग के आस-पास 17 से 18 बाघ-बाघिन नियमित रूप से विचरण कर रहे हैं,जिससे श्रद्धालुओं की जान जोखिम में है। वन्यजीव विशेषज्ञ भी मानते हैं कि यह क्षेत्र अब हाई-रिस्क जोन बन चुका है, जहां बिना उचित सुरक्षा के किसी भी समय कोई बड़ा हादसा हो सकता है।