बृजभूषण शरण सिंह ने कार्यक्रम के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की तारीफ करते हुए कहा कि, वो हनुमान जी के प्रशसंक हैं, धार्मिक व्यक्ति हैं। उन्होंने एक भव्य मंदिर भी बनवाया हुआ है। श्रीकृष्ण के वंशज हैं, वह धर्म विरोधी कैसे हो सकते हैं।
‘अखिलेश यादव की मजबूरी’
बृजभूषण शरण सिंह ने इस दौरान अखिलेश यादव को लेकर ये भी कहा कि वह थोड़ा बहुत जो भी करते हैं, वह मजबूरी में करते हैं। उन्होंने कहा, आप समझिए इस बात को। वह मजबूरी में करते हैं। मजबूरी उनसे ये करवा रही है. वह जो कर रहे हैं, मजबूरी में कर रहे हैं। बृज भूषण ने इटावा में कथावाचक के साथ हुई मारपीट की घटना को भी गलत ठहराया। उन्होंने कहा, ‘कथा कहने का अधिकार सभी को है। जो लोग शूद्र होने के आधार पर कथावाचक की आलोचना कर रहे हैं, उन्हें वेदव्यास और विदुर की जीवनी पढ़नी चाहिए।’
यूपी की राजनीति में नई बहस
बृजभूषण शरण सिंह के इन बयानों ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नई और ज्वलंत बहस छेड़ दी है। कैसरगंज लोकसभा सीट से कई बार सांसद रह चुके बृजभूषण शरण सिंह का अपना एक मजबूत जनाधार है, उनके इस बयान से हर कोई यह सवाल उठा रहा है कि क्या वह बीजेपी से दूरी बनाकर समाजवादी पार्टी का दामन थामने वाले हैं?