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ज्येष्ठ माह पूर्णिमा पर स्नान के बाद भगवान जगन्नाथ हुए बीमार, अब 15 दिनों तक आयुर्वेद पद्धति से होगा उपचार

. ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा पर बुधवार को महा स्नान के बाद भगवान जगन्नाथ बीमार पड़ गए। बड़ा बाजार स्थित देव राघव मंदिर में जगन्नाथपुरी की भांति ज्येष्ठ पूर्णिमा उत्सव मनाया गया। इस दौरान ज्येष्ठ पूर्णिमा पर मंदिर में भगवान जगन्नाथ का महा स्नान कराया गया।

सागरJun 12, 2025 / 11:35 am

रेशु जैन

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ज्येष्ठ माह पूर्णिमा पर स्नान के बाद भगवान जगन्नाथ हुए बीमार, अब 15 दिनों तक आयुर्वेद पद्धति से होगा उपचार

सागर . ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा पर बुधवार को महा स्नान के बाद भगवान जगन्नाथ बीमार पड़ गए। बड़ा बाजार स्थित देव राघव मंदिर में जगन्नाथपुरी की भांति ज्येष्ठ पूर्णिमा उत्सव मनाया गया। इस दौरान ज्येष्ठ पूर्णिमा पर मंदिर में भगवान जगन्नाथ का महा स्नान कराया गया। मान्यता के अनुसार ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा पर महा स्नान के बाद भगवान कृष्ण, बलदाऊ, एवं सुभद्रा बीमार हो जाते हैं। तीनों 15 दिनों के लिए शयन कक्ष में चले जाते हैं। अब आषाढ़ मास की द्वितीया तक भगवान शयन कक्ष में रहेंगे और मंदिर में उनके मुकुट की पूजा होगी। इस दौरान भगवान को आयुर्वेदिक औषधियां ही दी जाएंगी। पं. निताई दास महाराज ने बताया कि अब भगवान को खाने में केवल मूंग की दाल ही मिलेगी। साथ ही आयुर्वेद पद्धति से उपचार शुरू कर दिया गया है। स्वस्थ होने के बाद भगवान जगन्नाथ अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए 27 जून को रथ से निकलेंगे।
इस मौसम में होती हैं स्वास्थ्य की समस्याएं

पं. शिवप्रसाद तिवारी ने बताया कि यह मौसम का संधिकाल होता है, जिसमे स्वास्थ्य की समस्याएं होती हैं। भगवान भक्तों को इस मौसम में स्वस्थ संबंधी परहेज बरतने का संदेश देने के लिए बीमार होते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान अपने भक्त माधवदास के लिए भी बीमार होते हैं। वह 15 दिन अपने भक्त के कष्ट अपने ऊपर ले लेते हैं। इसीलिए पूर्णिमा पर उन्हें स्नान कराकर 15 दिन तक आयुर्वेदिक उपचार दिया जाता है।
धूमधाम से निकलेगी रथयात्रा

शहर के विभिन्न मंदिरों से 27 जून को रथयात्रा निकलेगी। बड़ा बाजार स्थित रामबाग मंदिर की रथयात्रा 27 जून को निकलेगी। जो मोतीनगर, विजय टॉकीज आदि मुख्य मार्गों से होती हुए मंदिर पर समाप्त होगी। वहीं सत्यनारायण घाटी स्थित द्वारकाधीश मंदिर में भगवान बाल स्वरूप में विराजमान हैं, इसलिए उन्हें बाहर नहीं निकाला जाता है। भगवान को मंदिर में ही रथ पर बैठाकर भ्रमण कराया जाएगा। इसी प्रकार राधावल्लभ मंदिर, बांके बिहारी मंदिर, जगन बल्देव मंदिर चकराघाट में भी मंदिर के अंदर ही भगवान को रथ में घुमाया जाएगा।

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