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एमपी में बड़ा फर्जीवाड़ा, 20 हजार मासिक वेतन पाने वाले हेल्पर को 9 माह में मिले लाखों

MP News: मुआवजा वितरण को लेकर हमेशा विवादों में रही बाणसागर परियोजना में एक और बड़ा फर्जीवाड़ा पकड़ में आया है। जानिए क्या है पूरा मामला…।

रीवाJun 01, 2025 / 12:58 pm

Avantika Pandey

Big fraud in MP

Big fraud in MP (फोटो सोर्स: पत्रिका)

MP News: मुआवजा वितरण को लेकर हमेशा विवादों में रही बाणसागर परियोजना में एक और बड़ा फर्जीवाड़ा पकड़ में आया है। इस मामले में पाया गया है कि 20 हजार रुपए मासिक वेतन पाने वाले हेल्पर के खाते में 9 माह में वेतन के रूप में 35.53 लाख रुपए का भुगतान भत्ते एवं विशेष वेतन मद से किया गया।
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बड़ा फर्जीवाड़ा आया सामने

मामला संज्ञान में आने पर कलेक्टर रीवा प्रतिभा पाल ने जब इसकी जांच की तो बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। हालांकि अब जांच की सुई और बड़े घोटाले की ओर घूम चुकी है और इसके दायरे में सतना और रीवा जिले के कई भू-अर्जन अधिकारी भी आ गए हैं। इसको लेकर सतना के रामपुर बाघेलान और अमरपाटन तहसील के भू-अर्जन अधिकारियों से अभिलेख तलब किए गए हैं। लेकिन इनके द्वारा नहीं भेजे जाने पर कलेक्टर सतना को लेख किया गया है। दरअसल कलेक्टर प्रतिभा पाल को ईई क्योंटी कैनाल, डिवीजन रीवा द्वारा किए गए वित्तीय संव्यवहारों में संदिग्ध भुगतान की जानकारी मिली थी।
जानकारी मिली कि मामूली से हेल्पर जिसका वेतन महज 20 हजार रुपए माह है, उसे वेतन के रूप में लाखों का भुगतान किया जा रहा है। इसके बाद कलेक्टर ने समिति गठित करते हुए जांच कराई और बड़ा फर्जीवाड़ा पकड़ा। हालांकि प्राथमिक तौर पर संबंधित आपरेटर द्वारा ऐसा किया जाना पाया जा रहा है, लेकिन मामले में ईई की भूमिका से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। क्योंकि जो भुगतान होते हैं उसमें ईई के डोंगल अनिवार्य होते हैं।
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इस तरह किया गया खेल

सूत्रों से पता चला कि गिरीश कुमार मिश्रा नामक हेल्पर मूल वेतन के अलावा अन्य भत्तों के रूप में 31.43 लाख महज 8 महीने में ही बांट दिए गए। अन्य भत्ते में इसे जून 2019 में 5.30 लाख रुपए, मई 2019 में 5.10 लाख, अप्रैल 2019 में 4.30 लाख रुपए, जुलाई 2019 में 4 लाख रुपए, फरवरी 2020 में 3.70 लाख रुपए, मार्च 2019 में 3.53 लाख रुपए, मार्च 2020 में 3.50 लाख रुपए और जनवरी 2020 में 2 लाख रुपए का भुगतान वेतन के अलावा कर दिया गया। इस तरह मूल वेतन के अलावा अन्य भत्तों के रूप में हेल्पर को 31.43 लाख का भुगतान किया गया। इस तरह के अन्य प्रकरण भी सामने आए हैं।

भू-अर्जन अधिकारी भी आए घेरे में

जांच के दौरान तथ्य सामने आए कि बडे पैमाने पर राशियां भू-अर्जन अधिकारियों के पदनाम से दर्शित बैंक खातों में ट्रांसफर हुई हैं। जबकि भू-अर्जन राशि रीवा के पीडी खाते में ट्रांसफर की जानी थी। भू-अर्जन अधिकारियों के पदनाम से दर्शित जो खाते संदिग्ध माने जा रहे हैं उनमें सतना के अनुविभागीय अधिकारी अमरपाटन और अनुविभागीय अधिकारी रामपुर बाघेलान के नाम के खाते हैं। इसी तरह से रीवा के अनुविभागीय अधिकारी हुजूर, अनुविभागीय अधिकारी गुढ़, रायपुर कर्चुलियान, अनुभाग मऊगंज, सिरमौर के नाम के खाते संदिग्ध हैं।

खेल इससे आगे का

जांच में पाया कि बाणसागर के लिए भू-अर्जन में जमीनें ले ली गई और लोगों को मुआवजा दिया गया लेकिन राजस्व अभिलेखों में ये जमीनें बाणसागर के पक्ष में अंकित नहीं की गई। इसके बाद अभियान प्रारंभ किया गया कि जमीनें राजस्व अभिलेखों में शासकीय अंकित हो सके।
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सतना से नहीं दी गई जानकारी

जानकारी के अनुसार इस मामले में रीवा कलेक्टर ने अनुविभागीय अधिकारी रामपुर बाघेलान और अमरपाटन से संबंधित दस्तावेज और जानकारी तलब की गई थी। लेकिन यह जानकारी नहीं भेजी गई। इस पर सतना कलेक्टर को लिखा गया है।
जल संसाधन विभाग के दो मामले संज्ञान में आए थे, उसके ट्रांजेक्शन गलत पाए गए थे। जांच पूरी हो गई है। दोषी अकाउटेंट के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की गई है। रिकवरी भी की जाएगी। अभी जांच खत्म नहीं हुई है।- प्रतिभा पाल, कलेक्टर रीवा

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