Story Behind Bakrid: अल्लाह के लिए इब्राहिम के बेटे की कुर्बानी: फिर बकरीद पर ‘बकरे’ की कुर्बानी कैसे शुरू हुई?
Story Behind Bakrid Eid Al Adha: बकरीद 2025 भारत में 7 जून को है। ऐसे में आइए पढ़ते हैं बकरीद के पीछे की कहानी, बकरीद का इतिहास (Bakrid History) और कई दिलचस्प बातें।
Story Behind Bakrid Eid Al Adha: इस्लाम धर्म में कुर्बानी देने की प्रथा करीब 4000 साल पुरानी बताई जाती है। हालांकि, इसकी शुरुआत बकरे की कुर्बानी से नहीं हुई थी। आपको सुनकर भले यकीन ना हो लेकिन, अभी तक के मौजूद तथ्य तो यही कहते हैं। इब्राहिम के बेटे की कुर्बानी के साथ ही ईद उल अजहा (Eid Al Adha) की शुरुआत मानी जाती है। ऐसे में सवाल ये उठता है, तो फिर कैसे बकरे की कुर्बानी की परंपरा शुरू हो गई? आज हम बकरीद के इतिहास से जुड़ी दिलचस्पों बातों को जानेंगे-
Bakra Eid story in hindi: जानिए बकरीद से जुड़ी ये बातें
बकरीद का वास्तविक नाम क्या था?
बकरीद के पीछे की कहानी क्या है?
बकरा ईद का इतिहास क्या है?
बकरीद पर बकरे की कुर्बानी क्यों?
Bakra eid 2025 Date in India: भारत में 6 या 7 जून, कब है बकरीद 2025?
भारत में बकरीद को लेकर दो तारीखों पर चर्चा चल रही है। 6 या 7 जून, इन दोनों तारीखों को लेकर इंटरनेट पर बातें हो रही हैं। आइए, जानते हैं कि भारत में बकरीद कब मनाई जाएगी। जानकारी के मुताबिक, भारत में 7 जून या शनिवार को बकरीद मनाई जाएगी।
बकरीद का असली नाम
बकरीद का अगर असली या वास्तविक नाम जानना चाहते हैं तो इसे इस्लाम धर्म के मुताबिक, ईद-उज़-ज़ोहा या ईद-उल-अज़हा (Eid-ul-Adha) कहा जाता है। बक़रईद, ईदुज़्ज़ुहा, क़ुरबानी की ईद, इदे-क़ुरबां आदि नाम भी हैं।
बकरा ईद का इतिहास क्या है?
बकरा ईद का इतिहास या बकरीद के पीछे कहानी आज से करीब 4 हजार साल पुरानी बताई जाती है। ये कहानी शुरू होती है आज के ईराक से। कुरान के अनुसार, मुसलमानों के एक पैगंबर हजरत इब्राहिम के साथ ये कहानी शुरू होती है। ये हजरत मोहम्मद के पूर्वज थे।
बकरीद के पीछे की कहानी क्या है?
कहानी ये भी है कि इब्राहीम ऐसे देवता को पूजता था जो दिखता नहीं (मूर्ति पूजा के खिलाफ), बताया जाता है कि वो आसमान की तरफ देखकर इबादत करता था। इस कारण उसके शहर का बादशाह नाराज हुआ। उसके बाद, इब्राहिम को आग में फेंकवा दिया। मगर, अल्लाह ने आग को फरमान देकर इब्राहिम को बचा लिया। इसके बाद अल्लाह का पैगाम दुनिया में फैलाने के लिए इब्राहिम निकल गए थे।
इस्माइल की कुर्बानी की कहानी
इब्राहिम जाकर मक्का में रूके। बाकि बातों को छोड़कर मूल बात की जाए तो इब्राहिम को तीन दिन तक सपना आया कि वो अपने बेटे इस्माइल को ईश्वर के लिए कुर्बान कर रहे हैं। उन्होंने इसे ईश्वर का फरमान समझा और बेटे की कुर्बानी दे दी। मगर, ईश्वर ने इस्माइल को लौटा दिया। इन बातों का जिक्र कुरान, बाइबल किताब- Book of Genesis, इस्लामिक किताबों में मिलता है।
मोटे तौर पर कहा जाता है कि अल्लाह ने इब्राहिम से सबसे प्रिय चीज की कुर्बानी मांगी थी और उसने अपने बेटे को बिना हिचक के पेश किया था। हालांकि, इसके लिए इब्राहिम ने अपने बेटे इस्माइल की भी रजामंदी ली थी।
इस्माइल को तो अल्लाह ने सही सलामत इब्राहिम को लौटा दिया। लेकिन, उस जगह पर एक दुंबे (भेड़) की कुर्बानी दी गई। तभी से कुर्बानी देने की प्रथा इस्लाम में चलती आ रही है। इसी कारण भारत में भेड़ की जगह बकरे की कुर्बानी दी जाती है।