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चिंतक, साहित्यकार प्रो. अजहर हाशमी का 75 साल की उम्र में निधन

Azhar Hashmi Passed Away: 15 मई से निजी अस्पताल में चल रहा था प्रो. अजहर हाशमी का इलाज, साहित्य जगत में मिले थे कई राष्ट्रीय पुरस्कार..।

रतलामJun 10, 2025 / 08:03 pm

Shailendra Sharma

Prof. Azhar Hashmi passed away

Prof. Azhar Hashmi passed away। (फोटो सोर्स- पत्रिका फाइल)

Azhar Hashmi Passed Away: मध्यप्रदेश के रतलाम के रहने वाले प्रख्यात चिंतक, साहित्यकार, गीता मनीषी प्रो. अजहर हाशमी का 10 जून मंगलवार शाम को 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया। प्रो. अजहर हाशमी कई दिनों से बीमार थे और 15 मई से निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। प्रो. हाशमी को साहित्य जगत में कई राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं उनके निधन से परिवार व उनके शुभचिंतकों में शोक की लहर है। प्रो. हाशमी पत्रिका के पाठकों के लिए सतत लेखन करते रहे। नवरात्रि, रमजान और पर्युषण पर्व पर उनके कॉलम वर्षों से प्रकाशित हो रहे हैं। ज्योतिष और राजनीति पर भी उनकी कलम से पाठकों को विशेष सामग्री मिलती रही।

‘मुझे राम वाला हिंदूस्तान चाहिए’ कविता से मिली पहचान

1990 के दशक में नई दिल्ली के लाल किले से मुझे राम वाला हिंदूस्तान चाहिए कविता पाठ से प्रो. अजहर हाशमी को पूरे देश में विशिष्ठ पहचान मिली थी। इसके अलावा उन्हें ‘बेटियां पावन दुआएं हैं’ ने उन्हें व्यापक पहचान दिलाई। प्रो हाशमी को उनकी पुस्तक संस्मरण का संदूक, समीक्षा के सिक्के के लिए निर्मल वर्मा राष्ट्रीय पुरस्कार 2022 में सम्मानित किया गया था। प्रो. हाशमी की कविता ‘बेटियां पावन दुआएं’ से मप्र शासन ने बेटी बचाओ अभियान 5.10.2011 से शुरू किया। इसके अलावा ‘अपना ही गणतंत्र है बंधु’, ‘सृजन के सह-यात्री’, ‘मैं भी खाऊँ, तू भी खा’, ‘संस्मरण का संदूक समीक्षा के सिक्के’ …तो बसंत लौट आएगा’, ‘छोटी-सी बाती रोशनी की’, ‘मामला पानी का’ एवं ‘मुक्तक शतक’ उनकी प्रमुख कृतियां हैं।
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जीवन परिचय व प्रमुख कृतियां

अजहर हाशमी का जन्म 13 जनवरी 1950 को राजस्थान के झालावाड़ जिले के ग्राम पिड़ावा में हुआ था। वो संत परम्परा के वाहक एवं भारतीय संस्कृति के अध्येता, ओजस्वी वक्ता, प्रखर लेखक, साहित्यकार एवं प्रवचनकार थे। उनकी ‘राम वाला हिन्दुस्तान चाहिए’ कविता बहुत लोकप्रिय हुई। आपकी कविता ‘बेटियां पावन दुआएं’ से मप्र शासन ने बेटी बचाओ अभियान 5.10.2011 से शुरू किया। ‘मां’ कविता पर उत्तर प्रदेश के राज्यपाल तथा भारत के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति काटजू ने ‘विशिष्ट काव्य पुरस्कार’ से पुरस्कृत किया। मप्र के राज्यपाल द्वारा 12.08.2011 को सम्मानित। भारत श्री (1991) छत्तीसगढ़, अहिन्दी सेवी सम्मान (1996) मप्र एवं सुभाष सम्मान से सम्मानित। मप्र बोर्ड की कक्षा 10वीं की हिन्दी की पाठ्यपुस्तक (नवनीत) में ‘बेटियां पावन दुआएं’ कविता सम्मिलित हैं।

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