कमलेश सारड़ा chai wala: आपने बेवफा चाय वाला और एमबीए चाय वाला के बारे में तो सुना होगा लेकिन क्या आपने 498 चाय वाले बाबा के बारे में सुना है। नहीं तो चलिए आपको इनके बारे में बताते हैं। राजस्थान के बारां जिले के अंता कस्बे में 498 के नाम से चाय की दुकान लगाने वाले शख्स का नाम केके धाकड़ है। केके धाकड़ मध्यप्रदेश के रतलाम जिले के जावद के अठाना क्षेत्र के रहने वाले हैं। कभी केके धाकड़ का अच्छा खासा नाम था और वो कामयाब बिजनेसमैन थे लेकिन फिर उनकी खुशियों को ऐसा ग्रहण लगा कि अब चाय की दुकान चला रहे हैं। चाय की दुकान का नाम 498 रखने की भी एक वजह है।
498 A कानून और न्यायिक क्षेत्र में पूर्व भारतीय दंड संहिता की जानी पहचानी धारा है जो कि दहेज प्रताड़ना के लिए लगाई जाती है। केके धाकड़ पर भी उनकी पत्नी ने दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज कराया था और वो अब मुकदमे का सामना कर रहे हैं। कानूनी और न्यायिक लड़ाई अपनी जगह है और धाकड़ भी अदालत में अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं लेकिन आम लोगों का ध्यान इस धारा की ओर जाए इस उद्देश्य से वो 498 नाम से चाय की दुकान चला रहे हैं।
केके धाकड़ अठाना का अपना घर बार छोड़कर ससुराल में दुकान खोलकर 498 के खिलाफ बिगुल बजाए हुए हैं। वे खुद को निर्दोष मानते हैं पर कहते हैं कि अदालत की ओर से बेगुनाह घोषित होने और बरी किए जाने तक वे अंता में डटे रहेंगे। उन्होंने अपने संकल्प के होर्डिंग भी टांग रखे हैं, जिन पर लिखा है जब तक नहीं मिलता न्याय, तब तक उबलती रहेगी चाय। इसके साथ ही ये स्लोगन भी लिख रहा है- ‘आओ चाय पर करे चर्चा.. 125 में कितना देना पड़ेगा खर्चा’। उन्होंने चाय की दुकान पर वरमाला और एक दूल्हे का सेहरा भी दुकान पर सजा रखा है। साथ ही हाथों में हथकड़ी पहनकर चाय बनती दिखाई है।
केके धाकड़ ने मधुमक्खी पालन में अच्छा नाम कमाया था। 6 जुलाई 2018 को अंता में विवाह करने के बाद उन्होंने पत्नी के साथ वहीं मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण लिया और अठाना आकर इसे व्यवसाय का स्वरूप दिया। उनका इतना नाम हुआ कि वर्ष 2021 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान उनके कारोबार का शुभारंभ करने के लिए अठाना आए। लेकिन इसके एक साल बाद ही अक्टूबर 2022 में पत्नी के रूठकर मायके चले जाने और घरेलू हिंसा व दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज कराने के बाद सबकुछ बिखर गया। धाकड़ बताते हैं कि धारा 498 ने उन्हें मानसिक तौर पर बहुत परेशान किया है और 498 वाले बाबा की चाय की टपरी उनकी इसी परेशानी से बाहर आने और लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश है।