नगरपरिषद बेबस, रसूखदार बेलगाम
नगरपरिषद की कार्रवाई की सच्चाई किसी से छिपी नहीं है- छोटे दुकानदारों पर चालान तुरंत, लेकिन बड़े रसूखदार दुकानदारों पर कोई लगाम नहीं। हाल में प्रशासन ने दुकानों के बाहर रखे बोर्ड तो हटवा दिए, लेकिन सामान जब्त नहीं किया। नतीजा? दुकानदारों ने फिर वही किया- सामान फिर बाहर सज गया और सड़क फिर सिकुड़ गई!
मैन चौपाटी से जल चक्की तक- हर रास्ता तंग
शहर का प्रमुख मार्ग: मैन चौपाटी से जल चक्की भी अतिक्रमण से घिरा है। दुकानदारों का सामान बाहर रहेगा तो पैदल राहगीर से लेकर दोपहिया-चारपहिया वाहन तक, सभी परेशान होंगे। अगर यही सामान अंदर कर लिया जाए, तो रास्ता खुल जाए, जाम छूमंतर हो जाए! क्या करें दुकानदार, जिम्मेदारी समझें
- सड़क को दुकान न बनाएं: अपना सारा सामान दुकान के अंदर ही सजाएं। बाहर सिर्फ ग्राहक रखें, सामान नहीं!
- ग्राहकों की सुविधा याद रखें: बाहर रखा सामान ग्राहक के लिए भी असुविधा बनता है। साफ-सुथरी, व्यवस्थित दुकान ही ग्राहक को वापस खींचती है।
- प्रशासन से सहयोग करें: कार्रवाई की नौबत ही न आए- खुद ही स्वेच्छा से अतिक्रमण हटाएं।
- शहर को सुंदर बनाने में भागीदार बनें: स्वच्छ रास्ते और खुला बाजार हर नागरिक का हक है- इसे दुकानदार ही सुरक्षित रख सकते हैं।
प्रशासन क्या करे, सख्ती और समानता जरूरी
- एक नियम, सब पर बराबर लागू: छोटे-बड़े, रसूखदार-सामान्य- सब पर एक जैसा नियम चले।
- सिर्फ चेतावनी नहीं, ठोस कार्रवाई: बार-बार सड़क पर सामान रखने वालों का सामान जब्त करें और भारी जुर्माना लगाएं।
- स्थायी निगरानी टीम: हर वार्ड में निगरानी टीम बने, जो अतिक्रमण होते ही तुरंत कार्रवाई करे।
- जनभागीदारी बढ़ाएं: शिकायत दर्ज करवाने के लिए नागरिकों को आसान पोर्टल या हेल्पलाइन नंबर दें ताकि हर कोई आवाज उठा सके।