अन्य राज्य दे रहे हैं अवसर, राजस्थान क्यों पीछे?
हैरानी की बात ये है कि मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना जैसे राज्य हर साल सेट परीक्षा करवाते हैं। वहां के युवा सालाना अवसर पाते हैं, कॉलेज व्यायाता बनते हैं और भविष्य बनाते हैं। लेकिन राजस्थान में? यहां अन्य राज्यों से पास सेट भी मान्य नहीं। 2002 के बाद लोक सेवा आयोग ने साफ नियम बना दिया कि दूसरे राज्यों से सेट पास करने वाले अभ्यर्थी राजस्थान में पात्र नहीं माने जाएंगे। ऐसे में राज्य के बेरोजगारों पर दोहरी मार पड़ रही है न अपनी सेट, न बाहर की मान्य।
अभ्यर्थियों में नाराजगी, मांग हुई तेज
अभ्यर्थियों और शिक्षक संघों का कहना है कि आरपीएससी को वर्ष में कम से कम एक बार सेट परीक्षा नियमित रूप से करवानी चाहिए। शिक्षक संघ रेसटा के प्रदेशाध्यक्ष मोहर सिंह सलावद ने बताया कि जब यूजीसी हर साल नेट की दो परीक्षाएं आयोजित करता है तो आरपीएससी भी कम से कम एक बार सेट परीक्षा करवाए। अभी भी वक्त है। इसी माह विज्ञप्ति जारी हो जाए तो लंबे समय से इंतजार कर रहे युवाओं को राहत मिल जाएगी।सरकार खोल रही कॉलेज, पर पढ़ाएगा कौन
राज्य में नए सरकारी कॉलेज खुल तो रहे हैं, लेकिन वहां पढ़ाने के लिए योग्य व्यायाता नहीं हैं। कई जगह पढ़ाई अटकी है, कहीं प्राइवेट या गेस्ट फैकल्टी के सहारे काम चल रहा है, तो कहीं पुराने व्यायाताओं की प्रतिनियुक्ति हो रही है। ऐसे में अगर समय रहते सेट परीक्षा नहीं करवाई गई तो पढ़ाई की गुणवत्ता पर सरकार के दावे भी खोखले साबित होंगे।
1600 पद, लेकिन कोई रास्ता नहीं
प्रदेश में सहायक आचार्य के करीब 1600 पद खाली पड़े हैं। जनवरी में 30 विषयों के लिए 575 पदों पर भर्ती की अधिसूचना भी जारी हो चुकी है पर इन पदों के लिए वही युवा पात्र हैं जो नेट या सेट पास कर चुके हैं। ऐसे में जिनका नेट नहीं हुआ, और सेट की उमीद लगाए बैठे हैं, वो क्या करें? अगर दिसंबर में प्रस्तावित कॉलेज व्यायाता परीक्षा से पहले सेट परीक्षा करवा दी जाए तो हजारों अभ्यर्थियों को सुनहरा अवसर मिल सकता है। लेकिन फिलहाल न तो नई विज्ञप्ति जारी हो रही है, न परीक्षा का शेड्यूल।
कॉलेज व्यायाता बनने के लिए सेट परीक्षा पास करना अनिवार्य
राजस्थान में कॉलेज व्यायाता बनने के लिए यूजीसी-नेट या राज्यस्तरीय सेट परीक्षा पास करना अनिवार्य है। नेट की कट ऑफ इतनी ऊंची होती है कि सामान्य या पिछड़े तबके के हजारों होनहार युवा इसमें पिछड़ जाते हैं। ऐसे में राज्यस्तरीय सेट परीक्षा ही एकमात्र सहारा बचता है। 1992 से लेकर अब तक 12 बार सेट परीक्षा हो चुकी है। आखिरी बार आरपीएससी ने 2013 में परीक्षा करवाई थी।इसके बाद जीजीटीयू बांसवाड़ा ने मार्च 2023 में इसे दोबारा आयोजित किया, लेकिन परिणाम इतना सख्त निकला कि करीब 1 लाख 10 हजार युवाओं में से सिर्फ 7 हजार 208 ही पास हो सके। कुल परिणाम रहा सिर्फ 6.56 प्रतिशत रहा। अब इस परीक्षा को दोबारा करवाने में सरकार और आयोग दोनों खामोश हैं। बेरोजगारों के सब्र का बांध टूट रहा है, लेकिन जवाब कोई नहीं दे रहा।