पहला चरण: सेठ-सेठानी बावड़ी से शुरू होगी अलख
अभियान की पहली कड़ी के रूप में सेठ-सेठानी बावड़ी की सफाई, पुनर्जीवन और उन्नयन का बीड़ा उठाया गया है। इसके लिए स्थानीय नागरिकों, स्वयंसेवी संस्थाओं और मंदिर मंडल ने हाथ मिलाया है। ठकुरानी तीज पर ही एक विशेष कार्यदल गठित कर दिया गया, जो जल्द ही बावड़ी की सफाई में जुट जाएगा। यह शुरुआत केवल एक बावड़ी तक सीमित नहीं रहेगी। इस सफल मॉडल के बाद नाथद्वारा नगर की अन्य ऐतिहासिक बावड़ियों को भी संरक्षित और पुनर्जीवित किया जाएगा।
बनास नदी के घाटों पर संध्या आरती, अगले वर्ष से नई परंपरा
ठकुरानी तीज पर तिलकायत इंद्रदमन सिंह गोस्वामी ने मंदिर मंडल के बोर्ड अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे बनास नदी के घाटों के सौंदर्यीकरण और सफाई के लिए समग्र योजना बनाएं। लक्ष्य है अगले वर्ष से यमुना स्वरूप बनास नदी के किनारे संध्या आरती की परंपरा शुरू करना। कल्पना कीजिए जब बनास नदी के घाटों पर सूरज की अंतिम किरणों के साथ दीपमालाएं जगमगाएंगी, घंटियों की मधुर ध्वनि और मंत्रोच्चार के बीच श्रद्धालु नदियों के जल को प्रणाम करेंगे। यह दृश्य नाथद्वारा के आस्था पर्यटन को एक नई पहचान देगा।
राज्य सरकार से भी मदद की उम्मीद
मंदिर प्रबंधन ने साफ कहा कि नगर के बीच से गुजरने वाले दो प्रमुख नालों की स्थिति फिलहाल अच्छी नहीं है। इनका भी विकास हो, ताकि ये नाले गंदगी का माध्यम न बनकर स्वच्छ जल स्रोत से जुड़ सकें। इसके लिए राज्य सरकार से विशेष अनुरोध किया जाएगा।
विशाल बावा का निवेदन: नगरवासी बनें अभियान के भागीदार
विशाल बावा ने नाथद्वारा वासियों से सीधा आह्वान किया कि यह केवल मंदिर मंडल या कुछ समाजसेवियों का काम नहीं, यह प्रभु श्रीनाथजी के हर भक्त का धर्म है कि हम अपनी नदियों, बावड़ियों और जलधाराओं को स्वच्छ रखें। उन्होंने सभी से अपील की कि ज़्यादा से ज़्यादा लोग इस अभियान से जुड़ें, क्योंकि ‘एक-एक हाथ बढ़ेगा, तो जल स्रोतों में फिर से जीवन जगेगा।
नमामि यमुने’: श्रद्धा से सेवा तक
नाथद्वारा की यह पहल केवल जल स्वच्छता की योजना नहीं, बल्कि यह भावनाओं का आंदोलन है। जहां महाप्रभु श्रीनाथजी की सेवा, यमुने महारानी की स्मृति और बनास नदी की धारा एक सूत्र में बंधकर नगर को फिर से हरित और निर्मल बनाएगी। आप भी जोड़ें यह संकल्प —
- अपनी गली-मोहल्ले की बावड़ी या तालाब को साफ रखें
- घर-घर में जल बचत को बढ़ावा दें
- बनास नदी में कचरा या अपशिष्ट बिल्कुल न डालें
- संध्या आरती के आयोजन में तन-मन-धन से सहयोग करें
ठकुरानी तीज से नई शुरुआत:आने वाला कल स्वच्छ और निर्मल
आज से ही ठान लें:- - नमामि यमुने सिर्फ नारा नहीं, बल्कि हर श्रद्धालु का संकल्प है।
- आइए, मिलकर बनाएं नाथद्वारा को स्वच्छ, हरित और आस्था से परिपूर्ण
- जहां बनास नदी फिर से यमुना के स्वरूप में कलकल बह सके