परिवर्तन की धारा-श्रम और श्रद्धा का संगम
साल 1967 एक महत्वपूर्ण पड़ाव लेकर आया। जगदीश चंद्र लड्ढा के नेतृत्व में विधिवत प्रबंध कमेटी का गठन हुआ। तब से लेकर आज 2025 तक, जगदीश चंद्र लड्ढा अध्यक्ष के रूप में मंदिर परिवार का नेतृत्व कर रहे हैं — यह अपने आप में एक मिसाल है। उनके नेतृत्व में इस छोटे-से मंदिर ने विशाल परिसर का रूप लिया और जनआस्था का एक मजबूत केंद्र बन गया। वर्षों में समिति ने मंदिर विकास की जो मंज़िलें तय कीं, वे साधारण नहीं हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग से मंदिर तक पहुंचने हेतु पक्की सड़क बनी, भव्य प्रवेश द्वार खड़ा हुआ। बच्चों के लिए महेश वाटिका में झूले लगे, वाहन पार्किंग बनी, संगमरमर से फर्श दमक उठा। मंदिर में श्री बालाजी और संतोषी माता की प्रतिमाएं विराजमान हुईं। मेवाड़ के चारों धाम, नाकोड़ा भैरवनाथ और बारह ज्योतिर्लिंगों की प्रतिमाएं प्रतिष्ठित की गईं- भक्ति की यह श्रृंखला आज भी अनवरत जारी है।
भक्तों के लिए सुविधा- अद्भुत व्यवस्थाएं
आज रामेश्वर महादेव सिर्फ एक मंदिर नहीं, बल्कि तीर्थयात्रियों के लिए रात्रि विश्राम का सुसज्जित स्थल भी बन चुका है। भूपेंद्र लड्ढा के अनुसार मंदिर परिसर में कार्यालय भवन, पुजारी आवास गृह, रसोई घर, जलघर, यज्ञशाला, सत्संग भवन, यात्री निवास तक की व्यवस्था कर दी गई है। धोईन्दा-जावद की ओर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सीढ़ियां बनीं, जिन पर धौलपुर पत्थर जड़े गए। विधायक किरण माहेश्वरी के प्रयासों से सीढ़ियों को चद्दर से कवर कर रोशनी की व्यवस्था की गई, जिससे अब भक्त सर्दी, गर्मी या बारिश में बिना परेशानी दर्शन कर पाते हैं।
प्रकृति से नाता: पौधारोपण और हरियाली
मंदिर की पहाड़ी को हरा-भरा रखने के लिए समिति ने पिछले वर्ष पौधारोपण का लक्ष्य रखा और उसे पूरा भी किया। पौधों को जीवित रखने के लिए सिंचाई की पुख्ता व्यवस्था की गई है। उपाध्यक्ष अनिल बडोला ने बताया कि सीढ़ियों पर रेलिंग भी लगवाई गई, जिससे वृद्ध श्रद्धालुओं को आसानी से चढ़ाई हो सके।
उत्सवों की श्रृंखला: संस्कृति और परंपरा का संगम
रामेश्वर महादेव मंदिर केवल ईश्वर के दर्शन तक सीमित नहीं, बल्कि यह सांस्कृतिक आयोजनों का भी केंद्र है। यहां वर्षभर मेलों और पर्वों का उत्सव चलता रहता है- महाशिवरात्रि पर्व, दशा माता पर्व, वैशाखी पूर्णिमा मेला, श्रावण सोमवार, हरियाली अमावस्या आदि यहां बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं। रंगारंग गैर नृत्य, जिसमें धकाधिक धमाका का विशेष आकर्षण होता है, हर साल सैकड़ों प्रतिभागी पारंपरिक वेशभूषा में भाग लेते हैं। महिलाओं के लिए कांवड़ यात्रा निकाली जाती है, जिसमें वे शिवलिंग पर जलाभिषेक करती हैं। बच्चों के लिए झूले और मनोरंजन की विशेष व्यवस्था रहती है।
वर्तमान प्रबंध: श्रद्धा का संचालन
नवीनतम 2025-2028 कार्यकाल में डूंगर सिंह कर्णावट के निर्देशन में नई प्रबंध समिति का गठन हुआ।इसके अध्यक्ष अब भी जगदीश चंद्र लड्ढा हैं। अन्य प्रमुख पदाधिकारी- उपाध्यक्ष अनिल बडोला, मंत्री राम सहाय विजयवर्गीय, कोषाध्यक्ष दिलीप कोठारी, सांस्कृतिक मंत्री महेश चंद्र कासट, निर्माण मंत्री प्रहलाद राय मुंदड़ा, मीडिया प्रभारी भूपेंद्र लड्ढा, सह मंत्री तेजराम कुमावत तथा अन्य समर्पित सदस्य हैं। ट्रस्ट मंडल, जो 2021 से 2027 तक कार्यरत है, में संयोजक सत्येंद्र कुमार बडोला तथा अन्य कई समर्पित सदस्य हैं। यह ट्रस्ट आयकर नियम 80जी के अंतर्गत पंजीकृत है, ताकि दानदाता को कर में राहत मिल सके। यह भी अपने आप में अनुकरणीय प्रयास है।