धर्मेंद्र के जीवन में बदलाव उस समय आया जब एक सड़क दुर्घटना में उनके पिता की मृत्यु सिर पर चोट लगने से हो गई। इस घटना ने उन्हें भीतर तक झकझोर दिया और तभी उन्होंने संकल्प लिया कि वे समाज में हेलमेट के महत्व को लेकर जागरूकता फैलाएंगे।
हेलमेट बांटना मेरा मकसद नहीं है, लोगों की जान बचाना मेरी प्राथमिकता है। अगर मेरे द्वारा दिया गया एक हेलमेट भी किसी की जान बचा सके, तो यही मेरी सबसे बड़ी सफलता होगी। युवा दिवस के अवसर पर धर्मेंद्र साहू जैसे युवाओं को सम्मानित करना समय की आवश्यकता है, जो न केवल समाज में सकारात्मक बदलाव ला रहे हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बन रहे हैं।
उन्होंने बिना किसी संस्थागत सहायता के स्वयं की कमाई से अब तक 3500 से अधिक हेलमेट नि:शुल्क बांटे हैं। पिता की दुर्घटना के बाद मिले बीमा की राशि का भी हेलमेट खरीदी कर लोगों में बांट दिया। धर्मेंद्र केवल हेलमेट देने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे विभिन्न स्कूलों, कॉलेज और सार्वजनिक स्थानों में 50 से अधिक जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन कर चुके हैं। उनका लक्ष्य है, हर सिर सुरक्षित हो। धर्मेंद्र की इस मुहिम में उनका पूरा परिवार सहभागी है। छोटे भाई की सगाई में वर-वधु ने एक-दूसरे को हेलमेट पहनाकर सड़क सुरक्षा का संदेश दिया। यह पहल सोशल मीडिया पर काफी सराही गई।