सुसाइड नोट में चंदू ने आरोप लगाया है कि ट्रस्ट के तीन ट्रस्टियों ने उस पर करीब तीन लाख रुपए गबन का झूठा आरोप लगाकर मानसिक और आर्थिक प्रताड़ना दी। उसने लिखा है कि मेरे साथ अन्याय हुआ है, इसी वजह से यह कदम उठा रहा हूं। मृतक ने तीनों ट्रस्टियों को अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया है। हालांकि पुलिस ने अब तक उनके नाम सार्वजनिक नहीं किए हैं। बताया जा रहा है कि मामले में पुलिस पर लगातार राजनीतिक दबाव बनाया जा रहा है, यही कारण है कि पुलिस अब तक सुसाइड नोट में लिखे नामों का खुलासा नहीं कर रही है।
आरोपित ट्रस्टी रहे नदारद
शनिवार को छिरपानी मुक्तिधाम में उसका अंतिम संस्कार किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक, परिजन व ट्रस्ट कर्मचारी मौजूद रहे। मगर जिन्हें चंदू ने अपने मौत का जिम्मेदार बताया है, वे ट्रस्टी नदारद रहे। इसकी दिनभर चर्चा रही। इस मामले के बाद से ट्रस्टियों में हड़कंप मचा हुआ है।
उठ रहे कई सवाल
मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष ने बताया है कि 2 लाख 96 हजार रुपए की कमी सामने आई थी। इससे स्पष्ट है कि मृतक गबन के आरोपों से घिरा था। मृतक की ओर से सुसाइड नोट छोड़ने के पीछे यह भी स्पष्ट हो रहा है कि प्रताड़ित करने वालों का नाम उजागर करना चाह रहे थे। हालांकि पुलिस की ओर से नाम सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है। बताया कि मृतक कुछ दिनों से काम पर नहीं जा रहा था और इधर से धर घूमते रहता था। कुछ समय से वेतन नहीं मिलने की भी खबर है। ट्रस्ट का एक कर्मचारी ट्रेन के सामने कूदकर
आत्महत्या कर लिया है। शव के पास से सुसाइड नोट मिला है। मृतक ने ट्रस्ट के कुछ लोगों पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। इस मामले की जांच की जा रही है।
– गजेंद्र पिस्दा, जांच अधिकारी जीआरपी ट्रस्ट के पैसों के हिसाब में 2 लाख 96 हजार रुपए की कमी पाई गई थी और उसकी जानकारी मांगी जा रही थी। सुसाइड नोट में लगाया गया आरोप निराधार है। – मनोज अग्रवाल, अध्यक्ष मां बम्लेश्वरी ट्रस्ट डोंगरगढ़