‘पत्रिका’ की पड़ताल में पता चला है कि जांच कमेटी ने प्रसूता की मौत के लिए गायनेकोलॉजिस्ट को जिम्मेदार माना है। दरअसल, महिला डॉक्टर रात में डिलीवरी कराने के लिए अस्पताल ही नहीं पहुंची। जिस वार्ड ब्वाय ने प्रसूता को इंजेक्शन लगाया, बताया जा रहा है कि वह वार्ड ब्वाय नहीं, बल्कि मेल नर्स है। ये जीएनएम डिग्रीधारी है।
ज्यादातर इस मेल नर्स की ड्यूटी रात्रिकालीन शिफ्ट में लगाई जाती है। इस पर भी सवाल है। अगर कोई महिला डिलीवरी के लिए जाए और मेल नर्स देखभाल करे तो इसमें आपत्तिजनक बात है। महिला की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल व थाने में जमकर हंगामा किया गया था। परिजनों का आरोप था कि मौके पर
डॉक्टर नहीं थे। नर्सिंग स्टाफ ने डिलीवरी कराई, लेकिन दर्द से तड़पती महिला की मौत हो गई।
सीएमएचओ झांकते तक नहीं
राजधानी व इससे लगे सीएचसी-पीएचसी भगवान भरोसे चल रहे हैं। सीएमएचओ झांकने तक नहीं जाते। डॉ. मिथलेश चौधरी के कार्यकाल में बिरंगाव के अलावा उरला व गुढ़ियारी में इस तरह की घटना हो चुकी है। इसके बाद भी सीएचसी में प्रोटोकाल का पालन नहीं किया जा रहा है। डॉक्टर न केवल रात में बल्कि दिन में भी कई बार गायब रहते हैं। मरीज भटकते रहते हैं। उनकी सुनने वाला कोई नहीं है।