एम्स, आंबेडकर अस्पताल व निजी अस्पतालों में ऐसे मरीजों की भीड़
12 से 15 मरीज रोजाना एम्स में10 से 1२ आंबेडकर अस्पताल में
23 मरीज निजी अस्पतालों में
मोबाइल की लत ने घटाया नींद का समय
कोरोनाकाल व इसके बाद लोगों की नींद भी उड़ी हुई है। डॉक्टरों के अनुसार स्वस्थ रहने के लिए रोजाना 7 से 8 घंटे नींद जरूरी है। लेकिन कई लोग 4 से 5 घंटे ही सो पा रहे हैं। कोरोना का नींद से सीधा संबंध तो नहीं है, लेकिन लॉकडाउन के समय लगी मोबाइल की लत अब तक नहीं छूटी है। इसमें बच्चों से लेकर सभी उम्र के लोग शामिल हैं। लोग अभी भी घंटों मोबाइल फोन पर गुजार रहे हैं। इस कारण लोगों की नींद हराम है। बदलती जीवनशैली व बढ़ते तनाव ने भी नींद के घंटे घटाए हैं। लोग अस्पतालों में जाकर इलाज करवा रहे हैं।डॉ. मनोज साहू, एचओडी मनोरोग आंबेडकर अस्पताल
कोरोना के बाद से अनिद्रा संबंधी बीमारी के काफी मरीज भी काफी आ रहे हैं। उनकी काउंसिलिंग कर इलाज किया जा रहा है। अच्छा होगा कि सभी सोने के पहले मोबाइल फोन से दूर रहें। सिरहाने रखकर कभी न सोएं। संतुलित भोजन के साथ फिजिकल एक्सरसाइज भी करें। तनाव न लें। इससे अच्छी नींद आएगी और स्वास्थ्य ठीक रहेगा।डॉ. लोकेश सिंह
कोरोना से संक्रमित होने के बाद स्वस्थ हुए लोगों में एंग्जाइटी व पैनिक एंग्जाइटी बीमारी बढ़ी है। कोरोनाकाल के बाद ऐसे मरीजों की संख्या 5 गुना तक बढ़ गई है। ओपीडी में ऐसे मरीजों की संख्या काफी रहती है। लोगों को लगातार इलाज कराने की जरूरत है। परिवार के सदस्य भी मरीजों का सपोर्ट करें। इससे उन्हें स्वस्थ होने में मदद मिलेगी।एंग्जाइटी के लक्षण
- 5-10 मिनट में अचानक घबराहट व बेचैनी बढ़ जाना।
- हाथ व पैरों में कंपन, सीने में दर्द।
- दिल की धड़कन बढ़ जाना व हार्ट अटैक आने का डर।
- आंखों के सामने अंधेरा छा जाना।
- सांस लेने में तकलीफ, पसीना आना।
- लगातार मृत्यु या विनाश का भय।
- लगातार चिंता या डर की भावना।
कुछ प्रभावी उपाय
- पर्याप्त नींद लें और संतुलित आहार अपनाएं
- नियमित योग और ध्यान करें।
- मोबाइल व सोशल मीडिया का सीमित उपयोग करें।
- भरोसेमंदों से भावनाएं साझा करें।
- सकारात्मक गतिविधियों में समय दें, नकारात्मकता से बचें।
- मनोचिकित्सक/काउंसलर से परामर्श लें।