10 दिनों बाद भी मानसून दंतेवाड़ा से आगे नहीं बढ़ा है। ऐसा हो सकता है, जब तक बंगाल की खाड़ी या अरब सागर में कोई सिस्टम न बने तो
मानसून आगे नहीं बढ़ सकता। लेकिन मानसून की घोषणा के बाद लग रहा था कि 4 से 5 दिनों में मानसून रायपुर पहुंच जाएगा। हालांकि ऐसा नहीं हुआ। पिछले साल भी 7 जून को सुकमा में मानसून ने दस्तक दी थी। मानसून को रायपुर पहुंचते-पहुंचते 21 जून लग गया। यानी 15 दिन लग गए।
पिछले साल भी सुकमा में मानसून की घोषणा पर सवाल उठे थे। मौसम केंद्र के कुछ मौसम विज्ञानियों ने पत्रिका से बातचीत में मानसून की घोषणा को जल्दबाजी बताए थे।
घोषणा जल्दबाजी में नहीं होनी चाहिए
रायपुर मौसम विज्ञान केंद्र रायपुर में पदस्थ रहे व डिप्टी डायरेक्टर जनरल पद से रिटायर हुए एमएल साहू के अनुसार मानसून की घोषणा के लिए बारिश भी एक पैरामीटर है। कई बार हवाओं की दिशा से भी मानसून की घोषणा कर दी जाती है। एक आम आदमी या किसान मानसून का मतलब बारिश समझता है। ऐसे में मानसून की घोषणा में जल्दबाजी नहीं की जानी चाहिए। जब वे डायरेक्टर थे तो दिल्ली के मौसम विज्ञानियों से बातचीत में कई आपत्ति जताते थे। वे मानसून के लिए बारिश को आवश्यक अंग मानते थे।