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मिशा कहती हैं कि मेरे कोच कमलेश देवांगन ने हमें खेल की बारीकियां सिखाई। उनके सिखाने के तरीके से ही खेल में हमारी रुचि बढ़ी। सेल्फ डिफेंस के तौर पर लोगों के सामने इसे रखा। साल 2021 में दल्लीराजहरा में
ट्रेनिंग कैंप लगा। वहां कलारीपयट्टू सीखा। फिर केरल जाकर ट्रेनिंग ली और पहली ही बार नेशनल में ब्रांज मेडल मिला। उसके बाद तो लगातार पदक जीतने का सिलसिला शुरू हो गया।
पापा ने वेस्ट चीजों से बनाया खेल का सामान
2023 में गोवा में हुए नेशनल गेम में स्टिक फाइट में गोल्ड और ब्रांज मेडल मिले। साल 2025 में 38 वें नेशनल गेम में गोल्ड मेडल मिला । मिशा कहती हैं कि यदि आपमें हुनर है और घर से आपको सपोर्ट मिलता है तो आपकी सफलता तय होती है। मेरे पिता तो मेरे लिए बेकार पड़ी चीजों से ही खेल का सामान बना देते थे। हम लोग सामान्य
परिवार से आते हैं। मेरा ऐसा मानना है कि खेल आपको मानसिक तौर पर सेहतमंद रखता है। इसके साथ ही आपके अंदर आत्मविश्वास भी बढ़ता है। मुझे किसी से डर नहीं लगता ।
मिशा सिंधु। कलारीपयट्टू खिलाड़ी