प्रत्येक मरीज को इलाज कार्ड दिया गया है, ताकि फॉलोअप के जरिए पूरी निगरानी सुनिश्चित की जा सके। स्वास्थ्य विभाग ने
बस्तर संभाग में 2015 की तुलना में केस में 71 प्रतिशत गिरावट आने का दावा किया है। राज्य का वार्षिक परजीवी सूचकांक (एपीआई) भी 27.40 से घटकर 7.11 तक आ गया है। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि कि मलेरिया से जंग अब केवल इलाज की नहीं, रणनीति और जनसहभागिता की लड़ाई बन गई है।
उनका मानना है कि सरकार ने जो लक्ष्य तय किया है 2027 तक शून्य मलेरिया और 2030 तक पूर्ण मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ बनाना है। अभियान की सफलता में मितानिनों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, ग्राम पंचायतों और स्वयंसेवी संगठनों की भागीदारी भी उल्लेखनीय रही है। यह केवल एक स्वास्थ्य कार्यक्रम नहीं, बल्कि अब एक जनआंदोलन बन चुका है।
CG News: जांच और इलाज के साथ-साथ लोगों को मच्छरदानी के नियमित उपयोग, जलजमाव की रोकथाम और साफ-सफाई जैसे व्यवहारिक उपायों के प्रति जागरूक किया जा रहा है। दूसरी ओर पिछले 3 साल से रायपुर में मलेरिया का एक भी मरीज नहीं मिलने का दावा स्वास्थ्य विभाग ने किया है। दरअसल नियमों में पेंच के कारण ऐसा हो रहा है। अगर कोई मलेरिया पीड़ित होता है तो उन्हें शहर में रहना जरूरी है। अगर वह यात्रा कर आया है तो रायपुर का मरीज नहीं माना जाएगा।