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Bilaspur High Court: जीएसटी विभाग को बड़ा झटका, हाईकोर्ट ने फर्म का बैंक खाता डी-फ्रीज करने का दिया आदेश, जानें पूरा मामला बता दें कि देशभर के सभी राज्यों में 1 जुलाई 2017 को गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) लागू किया गया।
टैक्स की चोरी करने वालों की निगरानी करने के लिए प्रिवेंशन और टैक्स जमा करने के लिए विभागों का गठन किया गया। फर्मों के वार्षिक लेखाजोखा की जांच करने के लिए ऑडिट शाखा बनाई गई है। यह विंग फर्मों की जांच कर बकाया टैक्स जमा नहीं करने और हेराफेरी करने वालों फर्मों के दस्तावेजों की छानबीन करती है। ऑडिट शाखा से मिली जानकारी के अनुसार पहली बार इतने व्यापक स्तर पर फर्मों की जांच की गई है।
फर्जीवाडा़ उजागर सेंट्रल और राज्य जीएसटी द्वारा लगातार कार्रवाई करने के बाद भी टैक्स चोरी हो रही थी। इसकी शिकायत मिलने पर ऑडिट विंग द्वारा विभिन्न फर्मो की जांच की गई। इस दौरान पता चला कि लेखा पुस्तकों में आय से अधिक खर्च बताकर फर्म को नुकसान में चलना दिखाया जा रहा था। जानबूझकर आय को छिपाकर कच्चे में काम किया जा रहा था उक्त फर्मों की जांच में गडबड़ी पकडे़ जाने पर रिकवरी निकाली गई है।
ट्रैक्स चोरी करने वाले निशाने पर सेंट्रल जीएसटी के अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 के दौरान टैक्स की हेराफेरी करने वाले संदिग्ध कारोबारियों की सूची बनाई गई है। साथ ही उनके कुल आय-व्यय की हिसाब किया जा रहा है। इसमें गड़बडी़ मिलने पर संबंधित फर्मो का ऑडिट कर जुर्माना हित बकाया राशि की वसूली होगी।