बायपास सर्जरी, वॉल्व रिप्लेसमेंट व वैस्कुलर सर्जरी कराने वाले मरीजों को दोहरी मार पड़ रही है। एसीआई में 250 से ज्यादा मरीज वेटिंग में हैं। अब इन मरीजों को एस रेफर किया जा रहा है। जब मरीज एस के कार्डियो थोरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) विभाग पहुंचते हैं तो उन्हें बताया जाता है कि यहां 6 महीने बाद ऑपरेशन का नंबर आएगा। ऐसे में मरीज व उनके अटेंडेंट के पास बगले झांकने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता। वे डॉक्टर या अन्य स्टाफ से जल्दी ऑपरेशन करने की गुहार भी लगाते हैं, लेकिन डॉक्टर मरीजों की संया अधिक बताते हुए जल्द ऑपरेशन नहीं होने की बात कहते हैं। तब मरीज मजबूरी में निजी अस्पतालों की ओर रुख करते हैं। वहां भी स्टाफ कैशलेस के बजाय कैश से इलाज करने की बात कह रहे हैं।
लेजर तकनीक से बायपास सर्जरी पर उहापोह, जब किये सुविधा ही नहीं जब मरीज एम्स पहुंचते हैं, तब वहां के स्टाफ मरीजों को यह कहते हैं कि एसीआई जाइए, वहां लेजर तकनीक से बायपास सर्जरी की जाती है। वापस मरीज एसीआई पहुंचता है, तब वहां डॉक्टरों को बताया जाता है कि एस के स्टाफ व कुछ डॉक्टरों ने लेजर तकनीक से ऑपरेशन होने की बात बताई है। ऐसे में एसीआई के डॉक्टर बताते हैं कि बायपास व ओपन हार्ट सर्जरी में लेजर तकनीक नहीं होती। वे भी हैरान कि आखिर ऐसी अफवाह कौन फैला रहा है।
हार्ट के मरीजों की संख्या अधिक होने के कारण वेटिंग स्वाभाविक है। फिर भी जितना हो सके, वेटिंग कम करने का प्रयास किया जा रहा है। सप्ताह के 6 दिन बायपास सर्जरी की जा रही है।
- डॉ. मृत्युंजय राठौर, पीआरओ, एम्स