आज सुबह से ही प्लेटफॉर्म्स पर रोटी का देसी स्वाद वायरल हो रहा है। एक क्रिएटर ने ‘रोटी फूल गई तो किस्मत भी फूलेगी’ जैसे डायलॉग के साथ एक फनी वीडियो पोस्ट किया है। वहीं एक अन्य क्रिएटर ने रोटी और संघर्ष पर आधारित मीम्स की पूरी सीरीज शेयर की है। ‘2 जून की रोटी’ शब्द गूगल ट्रेंड्स में में शामिल है। रायपुर समेत मध्य भारत के शहरों में इससे जुड़े कीवर्ड्स की सर्च अचानक बढ़ गई है।
Meaning Of 2 June Ki Roti : 2 जून की रोटी का क्या है मतलब
मुहावरे का अर्थ समझें तो दो जून की रोटी (Do Joon Ki Roti) का मतलब है दो वक्त की रोटी जुटाना। जून शब्द अवधी भाषा से लिया गया है। जून का मतलब होता है समय। एक तबका है जिसे अगर सुबह की रोटी मिल जाती है तो जरूरी नहीं कि शाम की भी मिल ही जाएगी। इन्हीं लोगों द्वारा दो जून की रोटी मुहावरे का इस्तेमाल किया जाता है। यह मुहावरा गरीब तबके के दुख और उसकी वेदना को दर्शाता है। इसी चलते दो जून की रोटी मुहावरे का प्रयोग साहित्यकार प्रेमचंद और जयशंकर प्रसाद अपनी कहानियों में कर चुके हैं। वहीं, फिल्मी परदे पर भी इस मुहावरे का खूब इस्तेमाल किया जाता रहा है।
हास्य-व्यंग्य दिवस
2 जून लोगों के लिए एक हास्य और व्यंग्य दिवस के रूप में बन चुका है। 2 जून की रोटी दरअसल एक मुहावरे के रूप में मशहूर है, जिसका मतलब दो वक्त की रोटी मिलने से है। सोशल मीडिया के बदलते ट्रेंड के बीच अब लोगों द्वारा 2 जून आते ही तरह-तरह के फनी मैसेज 2 तारीख को 2 जून से (2 June Ki Roti) जोड़ते हुए शेयर किए जाने लगते हैं। इस बीच लोगों को हंसने के बहाने खोजने के लिए इस तरह के मैसेज को शेयर करने की एक वजह भी मिल जाती है। 2 June Ki Roti: इस तरह के ट्रेंड
हाई टेम्प्रेचर में आराम मिले न मिले, लेकिन दो जून की रोटी जरूर मिलनी चाहिए। रोजाना हम दो जून की रोटी पकाते हैं, लेकिन दो जून की रोटी हमें पका रही है।
2 जून की रोटी बमुश्किल से मिलती है इसलिए खाइए जरूर। 2 जून की रोटी सभी के नसीब में नहीं होती।