वीडियो को कानपुर यूनिवर्सिटी के पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष डॉ. विशाल शर्मा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर साझा किया। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने सामान्य टिकट लेकर प्रयागराज से मेरठ के लिए यात्रा शुरू की थी और टीटीई से रिजर्व सीट के लिए अनुरोध किया था। आरोप है कि टीटीई ने 500 रुपये की मांग की, जिसमें से बाद में 300 रुपये वापस कर दिए और इटावा से पहले उन्हें एम-1 कोच में इकोनॉमी क्लास की 33 नंबर सीट अलॉट कर दी — बिना किसी रसीद या अधिकारिक प्रक्रिया के।
डॉ. शर्मा के अनुसार, टीटीई ने न तो रसीद दी और न ही ड्यूटी के दौरान अपनी नेम प्लेट लगाई थी। जब उन्होंने रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी से संपर्क करने की कोशिश की तो फोन पर संपर्क नहीं हो सका। अंततः उन्होंने पूरी घटना का वीडियो साझा करते हुए रेल मंत्री, डीआरएम दिल्ली और प्रयागराज स्टेशन अधीक्षक को टैग किया।
वीडियो में कथित तौर पर टीटीई और यात्रियों के बीच लेनदेन की बातचीत स्पष्ट सुनाई दे रही है। वायरल वीडियो के आधार पर रेलवे ने तत्परता दिखाते हुए जांच शुरू की और दोषी पाए गए दो कर्मचारियों — सीआईटी सुशील कुमार और उप-सीआईटी हितेंद्र सिंह — को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। डीआरएम रजनीश अग्रवाल ने निलंबन की पुष्टि की है और कहा कि मामले की विभागीय जांच भी जारी है।
प्रशासन पर सवाल, यात्री पर भी उठे संशय हालाँकि इस पूरे प्रकरण में डॉ. शर्मा की भूमिका को लेकर भी कुछ सवाल खड़े हो रहे हैं। नियमों के अनुसार, बिना रिजर्वेशन के यात्रा करना रेलवे अधिनियम का उल्लंघन है, और ऐसे यात्रियों पर जुर्माना लगाया जा सकता है। सवाल यह भी उठ रहा है कि यदि उन्होंने पैसे देकर सीट ली थी, तो उन्होंने उसी समय विरोध क्यों नहीं किया, और यात्रा पूरी होने के बाद ही शिकायत क्यों की?
रेलवे नियम स्पष्ट करते हैं कि सामान्य टिकट पर आरक्षित डिब्बे में यात्रा करने के लिए वैध अपग्रेड प्रक्रिया और शुल्क निर्धारित होता है, जिसके तहत रसीद और रिकॉर्ड आवश्यक होते हैं। रेलवे ने दिए सख्त कार्रवाई के संकेत
रेलवे प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि ऐसी घटनाओं को भविष्य में रोकने के लिए सख्त निगरानी और सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे। साथ ही, यात्रियों से अपील की गई है कि वे किसी भी प्रकार की अनियमितता की तुरंत रिपोर्ट करें और टिकट लेने के सभी रिकॉर्ड संभालकर रखें।
यह मामला न केवल रेलवे में मौजूद भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है, बल्कि यात्रियों की जागरूकता और जवाबदेही को लेकर भी चर्चा का विषय बन गया है।