scriptप्रयागराज: महिला को बिना इलाज लौटाना डॉक्टर को पड़ा भारी, अस्पताल सील, अब करना होगा 50 मरीजों का निःशुल्क इलाज | Prayagraj: Doctor had to pay heavily for sending a woman back without treatment, hospital sealed, now he will have to treat 50 patients for free | Patrika News
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प्रयागराज: महिला को बिना इलाज लौटाना डॉक्टर को पड़ा भारी, अस्पताल सील, अब करना होगा 50 मरीजों का निःशुल्क इलाज

प्रयागराज में एक महिला चिकित्सक को गरीब को बिना इलाज लौटाना भारी पड़ गया। पहले अस्पताल सील किया गया। फिर डीएम ने चिकित्सक को 50 गरीबों का निःशुल्क इलाज करने का निर्देश दिया।

प्रयागराजJun 11, 2025 / 09:05 am

Krishna Rai

Prayagraj: प्रयागराज में करछना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) पर तैनात एक संविदा महिला चिकित्सक को ड्यूटी में लापरवाही और मरीज को बिना इलाज लौटाने की भारी कीमत चुकानी पड़ी है। जिलाधिकारी रविंद्र कुमार मांदड़ के सख्त रुख के बाद डॉक्टर का निजी अस्पताल सील कर दिया गया है, और अब उन्हें एसआरएन अस्पताल के 50 गंभीर मरीजों का निःशुल्क उपचार भी करना होगा।
मामला तब उजागर हुआ जब डॉ. पल्लवी सिंह, जो अंदावा स्थित अपने निजी अस्पताल में मरीज देख रही थीं, के पास एक गरीब महिला गंभीर हालत में इलाज के लिए पहुंची। महिला के पास इलाज के लिए पर्याप्त पैसे नहीं थे। डॉ. पल्लवी ने इलाज करने से इनकार कर दिया, जिससे मरीज को बिना उपचार लौटना पड़ा। यह बात इलाके में फैल गई और फिर जिला प्रशासन तक पहुंच गई।
जिलाधिकारी रविंद्र कुमार मांदड़ ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लेते हुए तीन जून को स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक में सीएमओ और सीएचसी प्रभारी से जवाब-तलब किया। लापरवाही की पुष्टि होते ही अगले ही दिन, चार जून को उनके निजी अस्पताल को सील करने की कार्रवाई की गई।
जिलाधिकारी ने डॉ. पल्लवी और उनके डॉक्टर पति को कार्यालय में तलब किया। सीएमओ डॉ. एके तिवारी द्वारा पेश की गई रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि डॉक्टर को सीएचसी करछना में सिजेरियन प्रसव का जो लक्ष्य निर्धारित था, वह पूरा नहीं हुआ। साथ ही, वह नियमित रूप से ड्यूटी से अनुपस्थित पाई गईं।
जांच में दोषी पाए जाने के बाद महिला चिकित्सक ने अपनी गलती स्वीकार की और भविष्य में ऐसी चूक न करने का आश्वासन दिया।

डीएम रविंद्र कुमार मांदड़ ने मानवीयता और सेवा भाव की सीख देते हुए आदेश दिया कि डॉक्टर अब एसआरएन अस्पताल के 50 गंभीर मरीजों का मुफ्त इलाज करेंगी। जिसपर डॉक्टर ने पूरी सहमति जताई और भविष्य में ऐसी गलती न करने की भी बात कही।
यह मामला चिकित्सा सेवा में उत्तरदायित्व और संवेदनशीलता की मिसाल बन गया है, जिससे अन्य स्वास्थ्यकर्मियों को भी सीख लेने की जरूरत है।

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