यह कार्रवाई उस शिकायत के बाद की गई, जिसमें गांव के निवासी राजू ने हैंडपंप के रीबोर, इंटरलॉकिंग सड़कों, स्ट्रीट लाइट, सोलर लाइट की स्थापना और स्कूल की बाउंड्री वॉल जैसे विकास कार्यों में भारी घपले और धन के दुरुपयोग का आरोप लगाया था।
डीएम के निर्देश पर जिला अर्थ एवं संख्याधिकारी द्वारा की गई जांच में आरोपों की पुष्टि हुई और सामने आया कि 32 लाख से अधिक की राशि का दुरुपयोग किया गया है। जांच रिपोर्ट के आधार पर ग्राम प्रधान, तत्कालीन सचिव अजय कुमार श्रीवास्तव और सुजीत कुमार को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था, लेकिन जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी ने कड़ा निर्णय लेते हुए पंचायत संचालन के लिए त्रिस्तरीय समिति गठित करने का आदेश दिया है, जो आगे ग्राम पंचायत के कार्यों की निगरानी करेगी। यह कार्रवाई ग्रामीण विकास में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और भ्रष्टाचार पर सख्त संदेश देने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।