Action: शिक्षा विभाग की दोहरी कार्रवाई: 244 शिक्षक तबादले की कतार में, अवैध स्कूलों पर चला हंटर
UP Education Dept Cracks Down: बेसिक शिक्षा विभाग ने शिक्षक समायोजन प्रक्रिया को तेज करते हुए 244 सरप्लस शिक्षकों के स्थानांतरण की तैयारी शुरू कर दी है। साथ ही लालगंज क्षेत्र में बिना मान्यता के संचालित हो रहे दर्जनों स्कूलों पर शिकंजा कसते हुए उन्हें बंद करने का नोटिस जारी किया गया है।
बिना मान्यता के स्कूलों पर कसा गया शिकंजा फोटो सोर्स : Social Media
Action UP Education Dept: प्रतापगढ़ में बेसिक शिक्षा विभाग दो मोर्चों पर सक्रिय नजर आ रहा है, एक ओर जहां शिक्षक-छात्र अनुपात को संतुलित करने के लिए “समायोजन 2.0” के तहत 244 सरप्लस शिक्षकों ने स्थानांतरण के लिए आवेदन किया है, वहीं दूसरी ओर जिले के लालगंज क्षेत्र में बिना मान्यता के चल रहे स्कूलों पर कड़ी कार्रवाई की गई है। शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने की दिशा में यह एक अहम प्रयास माना जा रहा है।
244 शिक्षकों ने मांगी मनचाही तैनाती, समायोजन प्रक्रिया अंतिम चरण में
बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से सरप्लस (अधिशेष) शिक्षकों के समायोजन की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। विभाग का मुख्य उद्देश्य उन विद्यालयों में शिक्षक उपलब्ध कराना है जहां शिक्षकों की भारी कमी है, और उन स्कूलों से शिक्षकों को हटाना है जहां छात्र संख्या के अनुसार शिक्षक अनुपात असंतुलित है। इस समायोजन प्रक्रिया को “समायोजन 2.0” का नाम दिया गया है। इसके तहत 244 शिक्षकों ने आवश्यकता वाले विद्यालयों में स्थानांतरण के लिए आवेदन किया है। यह शिक्षक अब अपने मनचाहे विद्यालयों में तैनाती के लिए कतार में हैं।
बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने स्पष्ट किया है कि जिन विद्यालयों की पेयरिंग (जोड़े गए स्कूल) की दूरी एक किलोमीटर से अधिक है, उनकी पेयरिंग रद्द की जा सकती है। ऐसी स्थिति में शिक्षकों की घर वापसी (पूर्व विद्यालय में पुनः तैनाती) की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
विद्यालयों की पेयरिंग की समीक्षा जारी, कुछ की वापसी संभव
पिछले वर्षों में जिले में लगभग 200 विद्यालयों की पेयरिंग की गई थी, जिसमें बच्चों और शिक्षकों को एक विद्यालय से दूसरे विद्यालय में स्थानांतरित किया गया था। इस प्रक्रिया में कई शिक्षकों को ऐसे विद्यालयों में भेजा गया था जो उनके आवास से काफी दूरी पर थे। अब, विभाग “एक किलोमीटर के भीतर पेयरिंग” की नीति के तहत इस व्यवस्था की समीक्षा कर रहा है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) भूपेंद्र सिंह ने खंड शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने क्षेत्र में पेयरिंग विद्यालयों की भौगोलिक स्थिति की जांच कर रिपोर्ट सौंपें। रिपोर्ट मिलने के बाद संबंधित विद्यालयों में आवश्यक परिवर्तन किए जाएंगे।
बिना मान्यता के स्कूलों पर कार्रवाई, शिक्षा विभाग हुआ सख्त लालगंज क्षेत्र में बेसिक शिक्षा विभाग ने बिना मान्यता के संचालित हो रहे आधा दर्जन से अधिक निजी स्कूलों पर सख्ती दिखाई है। इन स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें तीन दिन के भीतर संचालन बंद करने का नोटिस जारी किया गया है। खंड शिक्षा अधिकारी (BEO) सुरेश कुमार सिंह की जांच में पाया गया कि कई विद्यालय बिना किसी वैधानिक मान्यता के कक्षाओं का संचालन कर रहे थे। इन स्कूलों में न तो आधारभूत संरचना मानकों का पालन हो रहा था और न ही योग्य शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित की गई थी।
किन स्कूलों पर हुई कार्रवाई जिन विद्यालयों को नोटिस जारी किया गया है, उनमें निम्नलिखित शामिल हैं: बेनी माधव उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, नया का पुरवा जीएम पब्लिक स्कूल विद्यासागर शिक्षा संस्थान, मटियारा अगई
धर्मराज यादव उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, कालूराम खजुरी संजय गांधी विद्या मंदिर, रायपुर तियांई माता शांति देवी पब्लिक स्कूल बैजनाथ प्राथमिक विद्यालय, वर्मा नगर राजवंत पब्लिक स्कूल, अगई सरस्वती ज्ञान मंदिर, रानीगंज कैथौला
सावित्री ज्योतिबा फुले कान्वेंट स्कूल, पयागीपुर इन सभी स्कूलों के प्रबंधकों और प्रधानाध्यापकों को स्पष्ट रूप से निर्देशित किया गया है कि वे तीन दिनों के भीतर स्कूल संचालन बंद कर दें, अन्यथा निश्शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम (RTE Act) के अंतर्गत कठोर कार्रवाई की जाएगी।
बीएसए का सख्त संदेश BSA भूपेंद्र सिंह ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में अनुशासन और गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। बिना मान्यता के स्कूल न सिर्फ बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, बल्कि वे शिक्षा के मानकों को भी ठेस पहुंचा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे सभी विद्यालयों की पहचान की जा रही है और आगामी दिनों में जिलेभर में एक विशेष जांच अभियान चलाया जाएगा, जिसके तहत सभी निजी स्कूलों की वैधता की जांच की जाएगी।
बोले स्थानीय लोग ….. स्थानीय अभिभावकों और नागरिकों ने बेसिक शिक्षा विभाग की इस कार्रवाई का स्वागत किया है। कई अभिभावकों ने बताया कि वे जानबूझकर अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में नहीं भेजते थे क्योंकि उन्हें नहीं पता था कि जिन निजी स्कूलों में वे फीस दे रहे हैं, वे मान्यता प्राप्त भी हैं या नहीं। अब जब विभाग खुद सामने आकर कार्यवाही कर रहा है, तो लोगों को राहत की सांस मिल रही है।
शिक्षा व्यवस्था में सुधार की दिशा में ठोस पहल प्रतापगढ़ में बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा की जा रही इन दोहरी कार्रवाइयों से यह स्पष्ट है कि विभाग अब शिक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीर है। एक ओर शिक्षक-छात्र अनुपात को संतुलित करने के लिए समायोजन प्रक्रिया को प्राथमिकता दी जा रही है, तो दूसरी ओर बिना मान्यता के स्कूलों को बंद कराकर शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखने का प्रयास हो रहा है। आगामी दिनों में यदि यही रफ्तार बनी रही, तो यह न केवल सरकारी स्कूलों की छवि सुधारने में सहायक होगा, बल्कि निजी शिक्षण संस्थानों को भी नियमों के पालन के लिए बाध्य करेगा।
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