प्राकृतिक आपदा का तांडव
भारत में 2020 से 2025 तक बादल फटने (Cloudburst) की घटनाएं मुख्य रूप से पहाड़ी क्षेत्रों जैसे हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, और कुछ अन्य राज्यों में दर्ज की गई हैं। भारत में हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड जैसे क्षेत्रों में बादल फटने की घटनाएं आम हैं। इससे बचाव के लिए मौसम की सटीक भविष्यवाणी, जंगल संरक्षण और बुनियादी ढांचे का बेहतर प्रबंधन जरूरी है।2020 में बादल फटने की घटनाएं
हिमाचल प्रदेश (कुल्लू, लाहौल-स्पीति, किन्नौर):अगस्त 2020 में कुल्लू, लाहौल-स्पीति, और किन्नौर में बादल फटने की घटनाएं हुईं, जिससे भूस्खलन और बाढ़ आई। सड़कें, पुल, और घर क्षतिग्रस्त हुए।
जुलाई 2020 में पिथौरागढ़ जिले में बादल फटने की घटना दर्ज की गई, जिससे भारी नुकसान हुआ।
2021 में बादल फटने की घटनाएं
उत्तराखंड (चमोली, टिहरी, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़):मई 2021 में टिहरी और चमोली जिलों में बादल फटने की घटनाएं हुईं। जुलाई 2021 में चमोली, उत्तरकाशी, और पिथौरागढ़ में बादल फटने से बाढ़ और भूस्खलन हुआ, जिससे सड़कों, पुलों और घरों को नुकसान पहुंचा।
2021 में हिमाचल प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में बादल फटने की घटनाएं दर्ज की गईं, जिससे बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा।
2022 में बादल फटने की घटनाएं
हिमाचल प्रदेश:अगस्त 2022 में हिमाचल प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में बादल फटने की घटनाएं हुईं, जिससे कई लोग मारे गए और बाढ़ व भूस्खलन से भारी तबाही हुई।
20-21 अगस्त 2022 को देहरादून जिले में रायपुर-कुमालदा में बादल फटने की घटना हुई, जिससे सड़कों, पुलों और बस्तियों को भारी नुकसान पहुंचा। जुलाई 2022 में पिथौरागढ़ के धारचूला शहर के पास बादल फटने से एक महिला की मौत हुई और घरों में कीचड़ भर गया।
8 जुलाई 2022 को अमरनाथ गुफा मंदिर के रास्ते में पहलगाम में बादल फटने से बाढ़ आई, जिसमें कम से कम 15 तीर्थयात्री मारे गए।
2023 में बादल फटने की घटनाएं
हिमाचल प्रदेश (मंडी, सोलन, शिमला):मॉनसून सत्र (जून-जुलाई 2023) में मंडी, सोलन, और शिमला में बादल फटने की कई घटनाएं हुईं। अगस्त 2023 में सोलन में बादल फटने से 7 लोग मारे गए और 3 लापता हुए।
2023 में केदारनाथ में बादल फटने से पैदल मार्ग क्षतिग्रस्त हुआ और दो लोग मलबे में दब गए। तमिलनाडु (थूथुकुडी, तिरुनेलवेली):
18 दिसंबर 2023 को थूथुकुडी जिले में 946 मिमी और तिरुनेलवेली जिले में 636 मिमी बारिश दर्ज की गई, जिससे 2023 तमिलनाडु बाढ़ आई। तिरुचेंदूर, सथानकुलम, और श्रीवैकुंटम में 24 घंटे में 700 मिमी से अधिक बारिश हुई, जिसे बादल फटने की घटना माना गया।
2024 में बादल फटने की घटनाएं
हिमाचल प्रदेश (कुल्लू, मंडी, शिमला):1 जुलाई 2024 को मंडी जिले में बादल फटने से कम से कम 10 लोग मारे गए और 34 लापता हुए। अगस्त 2024 में कुल्लू, लाहौल-स्पीति, और किन्नौर में बादल फटने से भारी तबाही हुई।
जुलाई 2024 में चमोली, उत्तरकाशी, और पिथौरागढ़ में बादल फटने की घटनाएं हुईं, जिससे सड़कों और बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा। जम्मू और कश्मीर (रामबन):
20 अप्रैल 2024 को रामबन तहसील में बादल फटने से भारी बारिश, ओलावृष्टि, और तेज हवाओं के साथ बाढ़ और भूस्खलन हुआ। कम से कम तीन लोगों की मौत हुई और 40 घर क्षतिग्रस्त हुए।
2025 में बादल फटने की घटनाएं
हिमाचल प्रदेश (मंडी, कुल्लू, कांगड़ा, शिमला):20 जून से 6 जुलाई 2025 तक हिमाचल प्रदेश में 19 बादल फटने की घटनाएं दर्ज की गईं, जिससे 78 लोगों की मौत हुई। मंडी जिला सबसे अधिक प्रभावित रहा। 26 जून 2025 को कांगड़ा में बादल फटने से पांच लोगों की मौत हुई। कुल्लू के बंजर, गड्सा, मणिकरण, और सैंज क्षेत्रों में चार बादल फटने की घटनाएं हुईं। 1 जुलाई 2025 को मंडी के करसोग, धर्मपुर, मंडी सदर, नाचन, और सराज क्षेत्रों में बादल फटने से भारी नुकसान हुआ।
20 अप्रैल 2025 को रामबन तहसील में बादल फटने से तीन लोगों की मौत हुई और 100 से अधिक लोगों को बचाया गया। जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग अवरुद्ध हो गया। 2025 में गंदरबल जिले के चेरवान कांगन क्षेत्र में बादल फटने की घटना दर्ज की गई।
2025 में उत्तरकाशी में खीर गंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में बादल फटने से भारी बाढ़ आई, जिसमें दो मजदूर मारे गए और सात लापता हुए। कई होटल और होमस्टे बह गए। देहरादून में भी बादल फटने की घटनाएं दर्ज की गईं।