आखिर क्यों ज़रूरी हो गया है नया विकास मॉडल?
इन चारों शहरों में या तो धार्मिक, भौगोलिक या राजनीतिक दृष्टि से महत्व बढ़ा है। बाराबंकी लखनऊ के पास स्थित है और वहां पिछले कुछ वर्षों में अंधाधुंध विकास हुआ है। नैमिषारण्य (सीतापुर) एक धार्मिक केंद्र बनता जा रहा है, जिससे तीर्थ-पर्यटन और निर्माण कार्य तेज हुआ है। देवरिया और फर्रुखाबाद में हाल ही में रियल एस्टेट निवेशक और बिल्डरों की सक्रियता बढ़ी है। लेकिन बिना योजना के ये विकास भविष्य में ट्रैफिक, जलनिकासी, हरियाली और जीवन गुणवत्ता को संकट में डाल सकता है। इसीलिए सरकार अब इन शहरों के लिए अलग से हाउसिंग डिवेलपमेंट अथॉरिटीज बनाने जा रही है।
क्या बदलेगा आपके शहर में?
एक बार हाउसिंग अथॉरिटी गठित हो जाने के बाद में निर्माण कार्य स्टैंडर्ड बायलॉज से संचालित होगा। रेजिडेंशियल, कमर्शियल और ग्रीन जोन का स्पष्ट विभाजन होगा। सड़कों का नेटवर्क व्यापक और वैज्ञानिक होगा। प्लान अप्रूवल ऑनलाइन होगा, जिससे अब ग्राम पंचायत या स्थानीय निकायों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।शहरी विकास को मिलेगा सही ट्रैक
हाउसिंग विभाग के प्रमुख सचिव पी. गुरु प्रसाद के अनुसार “जो प्रस्ताव हमारे पास आए हैं, उनके आधार पर प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। अंतिम फैसला सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर लिया जाएगा।”नागरिकों के लिए क्यों अहम है यह बदलाव?
शहर की भूमि उपयोग नीति (Land Use Policy) पारदर्शी होगी।आम नागरिक बिना बिचौलिए के घर, दुकान, प्लॉट के लिए मंजूरी ले सकेंगे।
हरियाली और पर्यावरण को संतुलित रखा जाएगा