2004 में लागू हुआ नया नियम
राजनीति के पुराने जानकारों का कहना है कि जोगी शासनकाल के बाद जब डॉ. सिंह की सरकार बनी तो विधानसभा सीट के हिसाब से मंत्रियों की संख्या तय नहीं हुई थी। बताया जाता है कि नया नियम 2004 में लागू हुआ। इसमें विधानसभा सीट का अधिक 15 फीसदी ही मंत्री बन सकते थे। इसके जद में रमन सरकार के 5 मंत्री आ गए थे। हालांकि इनमें से तीन को संसदीय सचिव और दो को निगम-मंडल में जगह दी गई थी। उस दौरान संसदीय सचिव को कई अधिकार भी थे।केदार सबसे ज्यादा समय तक रहने वाले मंत्री
राज्य निर्माण के बाद छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा समय तक भाजपा की सरकार रही। डॉ. रमन सिंह तीन बार मुख्यमंत्री रहे। ऐसे में बृजमोहन अग्रवाल, अमर अग्रवाल, राजेश मूणत और केदार कश्यप को हर मंत्रिमंडल में जगह मिलती रही। साय सरकार में भी बृजमोहन और कश्यप मंत्री बने। हालांकि साय सरकार में पांच से छह महीने बाद बृजमोहन सांसद बने और उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। जबकि केदार वर्तमान में भी मंत्री है। इस लिहाज से प्रदेश में सबसे ज्यादा समय तक मंत्री बने रहने का श्रेय केदार कश्यप को जाता है।
इस वजह से सीमा हुई तय
राजनीति के जानकारों का कहना है कि पहले अधिकांश राज्यों में थोक में मंत्री और राज्य मंत्री बनाए जाते थे। इसकी वजह से सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ता था। केंद्र की अटल सरकार ने आबादी और विधानसभा सीटों की संख्या के आधार पर मंत्रिमंडल के गठन का नियम बनाया था।इन मंत्रियों को देना पड़ा इस्तीफा
रमन सरकार के समय राज्य मंत्री के रूप में कार्यरत 5 मंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ा था।- पूनम चंद्राकर
- महेश बघेल
- सत्यानंद राठिया
- रजिन्दरपाल सिंह भाटिया
- विक्रम उसेण्डी
मुख्यमंत्रियों का शपथ स्थल
वर्ष – मुख्यमंत्री – स्थल2003 – डॉ. रमन सिंह – पुलिस परेड ग्राउंड
2008 – डॉ. रमन सिंह – पुलिस परेड ग्राउंड
2013 – डॉ. रमन सिंह – पुलिस परेड ग्राउंड
2018 – भूपेश बघेल – इनडोर स्टेडियम
2023 – विष्णु देव साय – साइंस कॉलेज ग्राउंड
मंत्रियों के विभाग
