scriptRaksha Bandhan 2025: राखी के धागे में बंधी सरहद की सुरक्षा, रेगिस्तान में BSF की महिला जवान ऐसे मनाती हैं रक्षाबंधन का त्योहार | Security of border is tied with Rakhi BSF women soldiers posted in desert celebrate festival of Raksha Bandhan 2025 | Patrika News
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Raksha Bandhan 2025: राखी के धागे में बंधी सरहद की सुरक्षा, रेगिस्तान में BSF की महिला जवान ऐसे मनाती हैं रक्षाबंधन का त्योहार

Raksha Bandhan 2025: सरहद पर तैनात BSF की महिला जवानों का देश प्रेम और त्योहार का जश्न एक साथ नजर आता है। यह खबर उन बहादुर महिला जवानों की कहानी है जो रक्षाबंधन पर अपने भाइयों से दूर रहकर देश की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।

श्री गंगानगरAug 09, 2025 / 02:32 pm

Kamal Mishra

BSF women soldiers rakhi

BSF की महिला जवानों की राखी (फोटो-पत्रिका)

श्रीगंगानगर। रक्षाबंधन पर घर और भाई की याद आती है, लेकिन जब से BSF में भर्ती होकर देश सेवा का मौका मिला है तो सरहद पर रहते हुए देश की सुरक्षा को रक्षा सूत्र बांध दिया है। रक्षाबंधन से पहले भाई को डाक से राखी भेज कर उसके लिए मंगल कामना कर देती हूं। रक्षा बंधन के दिन तो सीमा चौकी पर साथी जवानों की कलाई पर राखी बांध उन्हें भी घर और बहन की याद से मुक्त कर देती हूं। यह कहना है BSF जवान अमृता कुमारी का।

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BSF women soldiers rakhi
श्रीगंगानगर सेक्टर की कंचनपुर सीमा चौकी पर तैनात महिला प्रहरी अमृता कुमारी रक्षाबंधन से जुड़ी अपनी भावना को देश की सुरक्षा से जोड़ती हैं। महिला प्रहरी अमृता कुमारी पश्चिम बंगाल से हैं और अब उनकी बटालियन राजस्थान फ्रंटियर के श्रीगंगानगर सेक्टर में तैनात है।

BSF में भर्ती होने के बाद राखी पर नहीं गई घर

अमृता की बीएसएफ में भर्ती 2023 में हुई। उसी साल घर पर रहकर भाई की कलाई पर राखी बांधी थी। उसके बाद पहले प्रशिक्षण और फिर सरहद पर नियुक्ति मिली तो घर जाने का मौका ही नहीं मिला।
BSF women soldiers rakhi

भाई को डाक से भेज देती हैं राखी

भाई की राखी डाक से ही भेज दी। अमृता पश्चिम बंगाल के उस जिले से हैं, जिसने सेना और बीएसएफ को जितने जवान दिए हैं, उतने और जिले ने नहीं। अब महिलाएं भी देश सेवा के लिए सेना और बीएसएफ सहित अन्य सुरक्षा बलों में भर्ती होने लगी हैं।

बीएसएफ में आने पर मनाया त्योहार

महिला प्रहरी कंचना केरल से हैं। बीएसएफ में भर्ती हुए 10 साल हो गए। कंचना ने बताया कि उनके यहां रक्षाबंधन मनाने की परपरा नहीं है। बीएसएफ में भर्ती होने के बाद ही उन्हें रक्षाबंधन का पता चला। अब तो हर साल इस त्योहार पर साथी जवानों को रक्षा सूत्र बांधती हूं। रक्षाबंधन के दिन आसपास के गांवों से महिलाएं और बच्चियां जवानों के हाथों पर रक्षा सूत्र बांधने के लिए सीमा चौकी पर आती हैं तो अच्छा लगता है।
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धर्म में नहीं पर मनाती हूं राखी

पश्चिम बंगाल की महिला प्रहरी रसना खातून के धर्म में रक्षा बंधन नहीं मनाया जाता, लेकिन रसना स्कूल के समय से ही इस त्योहार को मना रही हैं। उन्होंने बताया कि स्कूल में साथ पढ़ने वाले हिन्दू बच्चों की कलाई पर उसने राखी बांधी थी। बीएसएफ में भर्ती हुई तो सीमा चौकी पर साथी महिला प्रहरियों के साथ जवानों के हाथों पर राखी बांध रही हूं। रसना ने बताया कि बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनकी सुरक्षा की कामना करती हैं।
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हाथ में थाम ली राइफल तो डर कैसा

सरहद पर रात के समय लगने वाले नाकों पर अब महिला प्रहरी भी तैनात होने लगी हैं। रात के सन्नाटे में अकेले चौकसी करते हुए डर लगने के बारे में पूछे जाने पर महिला प्रहरी प्रतिभा दास कहती हैं कि हाथ में हथियार थामा है तो डर कैसा। वर्दी हमारी ताकत है। जब से यह पहनी है डर नाम की कोई चीज नहीं रही। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी हम महिला प्रहरी सरहद की सुरक्षा में रात भर यह सोच कर जागती थीं कि हमारा देश और देशवासी सुरक्षित रहें

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