यहां ये हो रहा
1- दिल्ली : एसटीपी से ट्रीट हुए जल को यमुना में छोड़ा जा रहा है, साथ ही रिचार्ज कुएं भी बनाए गए हैं।2- हरियाणा : गुरुग्राम और फरीदाबाद में उपचारित जल का पुन: उपयोग किया जाता है। यहां पानी बागवानी, सिंचाई-भूजल स्तर बढ़ाने में उपयोग किया जा रहा है।
दूसरे देशों में भी ये स्थिति
1- तेल अवीव, इजराइल : 90 फीसदी उपचारित जल कृषि और भूजल रिचार्ज में जाता है।2- पर्थ, ऑस्ट्रेलिया : मैनेज एक्वाफायर रिचार्ज से इस पानी को सिंचाई और रिचार्ज के काम में लिया जाता है।
3- कैलिफोर्निया, अमरीका : पर्पल पाइप सिस्टम से पानी को सिंचाई और रिचार्ज के लिए अलग पाइपलाइन से भेजा जाता है।
इस तरह होगा काम
1- द्रव्यवती नदी के किनारे 5 एसटीपी संचालित हैं। सीवेज ट्रीट होने के बाद साफ पानी एक टैंक में एकत्र किया जाता है। इसमें क्लोरीन मिलने के बाद पानी को नदी में बहाया जाता है। इन टैंक से रिचार्ज सिस्टम को पानी दिया जाएगा।2- सतही जल संग्रहण के साथ गहराई में पाइपिंग को ले जाया जाएगा।
3- हर रिचार्ज पॉइंट पर डिजिटल सेंसर लगाए जाएंगे जो पानी की गुणवत्ता को रियल टाइम ट्रैक करें।

पानी की क्वालिटी होगी और बेहतर
नदी किनारे जो प्लांट हैं, वे उच्च तकनीक के हैं। मानकों के अनुरूप ट्रीट किया जा रहा है। एसटीपी का पानी सीधे जमीन में पाइप से छोड़ा जाना गलत है। जेडीए जो रिचार्ज सिस्टम बनाने जा रहा है, उसमें फिल्टर मीडिया से लेकर कार्बन चैबर होते हैं। इसके अलावा मिट्टी की एक लेयर भी बनाई जाती है। तीनों प्रक्रिया को पार करता हुआ पानी जमीन में जाएगा। पानी की क्वालिटी और बेहतर होगी। देश-विदेश के कई शहरों में इसे किया जा रहा है और इसके परिणाम भी सकारात्मक आए हैं।बीडी शर्मा, सेवानिवृत्त अतिरिक्त मुख्य अभियंता, जेडीए