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बिहार में 70,877 करोड़ के घपले का खुलासा, CAG रिपोर्ट से नीतीश सरकार पर सवाल

CAG Report: आगामी बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया और सियासी घमासान के बीच नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट ने नीतीश कुमार सरकार पर सवाल खड़े कर दिए हैं। वित्त वर्ष 2023-24 की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि बिहार सरकार 70,877 करोड़ […]

पटनाJul 25, 2025 / 10:04 pm

Shaitan Prajapat

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (ANI)

CAG Report: आगामी बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया और सियासी घमासान के बीच नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट ने नीतीश कुमार सरकार पर सवाल खड़े कर दिए हैं। वित्त वर्ष 2023-24 की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि बिहार सरकार 70,877 करोड़ रुपये के कार्यों के उपयोगिता प्रमाणपत्र (UC) समय पर जमा नहीं कर पाई, जिससे गबन और धन के दुरुपयोग की आशंका बढ़ गई है।

सबसे ज्यादा पंचायती राज और शिक्षा विभाग पीछे

CAG रिपोर्ट के मुताबिक, जिन विभागों ने सबसे ज्यादा यूसी लंबित रखे हैं, उनमें पंचायती राज विभाग 28,154.10 करोड़ रुपये के साथ सबसे आगे है। इसके बाद शिक्षा विभाग (12,623.67 करोड़), शहरी विकास (11,065.50 करोड़), ग्रामीण विकास (7,800.48 करोड़) और कृषि विभाग (2,107.63 करोड़) शामिल हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 14,452.38 करोड़ रुपये की राशि वित्त वर्ष 2016-17 तक की है, जब तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री थे, जिससे विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच नए सियासी विवाद की आहट मिल रही है।

कौन-कौन से मंत्रालय किसके पास रहे

2015 में महागठबंधन सरकार बनने पर पंचायती राज, शिक्षा, शहरी विकास और ग्रामीण विकास जैसे मंत्रालय JDU के पास थे, जबकि कृषि मंत्रालय RJD के पास था। तेजस्वी यादव ने सड़क, भवन निर्माण और पिछड़ा वर्ग विकास मंत्रालय संभाला था। वहीं, मौजूदा NDA सरकार में पंचायती राज मंत्रालय बीजेपी के केदार प्रसाद गुप्ता, शिक्षा मंत्रालय JDU के सुनील कुमार, शहरी विकास बीजेपी के जिबेश कुमार, ग्रामीण विकास JDU के श्रवण कुमार और कृषि मंत्रालय बीजेपी के विजय कुमार सिन्हा के पास है। इन मंत्रालयों में ही सबसे अधिक यूसी अटके हैं।

खर्च और बचत पर भी उठे सवाल

CAG रिपोर्ट में बताया गया कि नीतीश सरकार ने 2023-24 के लिए 3.26 लाख करोड़ रुपये का बजट रखा था, लेकिन वह सिर्फ 2.60 लाख करोड़ रुपये ही खर्च कर पाई। इसके अलावा राज्य सरकार ने अपनी बचत 65,512.05 करोड़ रुपये में से केवल 23,875.55 करोड़ रुपये ही वापस जमा किए हैं। 31 मार्च 2024 की समयसीमा के बावजूद यूसी लंबित रहने से यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा कि आवंटित धन का सही इस्तेमाल हुआ या नहीं।

सियासी मायने

आगामी विधानसभा चुनाव से पहले यह रिपोर्ट नीतीश सरकार के लिए चुनौती बन सकती है, वहीं विपक्ष इस मुद्दे को लेकर सरकार को घेरने की तैयारी कर रहा है। विशेषकर RJD नेता तेजस्वी यादव के कार्यकाल से जुड़े पुराने मामलों का जिक्र आने से सियासी बयानबाजी तेज हो सकती है।

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