पेशे से वकील राधा गोविन्द ने बताया कि कोरोना के दौरान मुझे अहसास हुआ कि मेरे जीवन का उद्देश्य वकालात करना नहीं है। मैंने गरीब बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए काम करना शुरू किया। वर्ष 2024 में भारत को समझने के लिए यात्रा करने की सोची। बेटे सहज के साथ 15 अगस्त को दिल्ली पहुंचकर विवेकानंद ज्योति ज्ञान यात्रा…पर निकल गया। वह यात्रा अभी तक जारी है। मेरी यात्रा का उद्देश्य महिला सशक्तीकरण, शिक्षा, कला व शिल्प, विरासत, संस्कृति, पर्यावरण संरक्षण, नशामुक्ति का संदेश देना और समझाना है। वे 33 राज्यों का भ्रमण कर राजस्थान पहुंचे है। यात्रा का समापन 15 अगस्त को दिल्ली में होगा।
हर गांव में तैयार करने विवेकानंद जैसे युवा
उन्होंने कहा कि मेरी सोच है कि मैं हर गांव में स्वामी विवेकानंद जैसे युवा तैयार करूं। उन्होंने बताया कि दक्षिण भारत की यात्रा के दौरान भाषा की बाधा सबसे बड़ी चुनौती रही। युवाओं में बढ़ती नशाखोरी और कई जगहों पर शिक्षा की स्थिति चिंताजनक है। मैं चाहता हूं कि हर युवा में यह सोच विकसित हो कि मैं भारतीय हूं, मेरी जाति भारतीय है और मेरा धर्म इंसानियत है। बेटे को साथ रखने पर वे बोले, मैं इसे इसलिए साथ लाया, जिससे यह भी देश की सभ्यता व संस्कृति से रूबरू हो सके।