करीब 400 पेड़ और किए जा रहे हैं तैयार
काजरी के वैज्ञानिक विजयसिंह मीणा ने बताया कि वैसे तो पेड़ तीन साल से पहले ही फल देने लगता है, लेकिन पेड़ को अधिक पोषित व बेहतर बनाने के लिए फल नहीं उतारे। तीसरे साल उतारे। अब करीब 400 पेड़ और तैयार किए जा रहे हैं।
लैंडरेस किस्म की तैयार
आम को तैयार करने के लिए लैंडरेस किस्म (परंपरागत किस्में) ली गई। उसके पौधों को विनियर ग्राफ्टिंग के से प्रवर्धित किया गया फिर यह पौधा तैयार हुआ। इस तरह से तैयार एक पेड़ से 300 से अधिक आम प्राप्त किए।
अभी भी किया जा रहा है अध्ययन
आम का फल उगाने के प्रारंभिक विकास चरण और वयस्क अवस्था दोनों में संभावित नमक सहिष्णु जीनोटाइप की पहचान करने के लिए जांच की गई थी। नमक-सहिष्णुता के संभावित आधार का अभी भी अध्ययन किया जा रहा है।
डॉ. एके शुक्ल, प्रभारी, काजरी, पाली
वर्ष 2014 से 24 तक मेहनत
काजरी आरएसएस पाली ने 2014 से 2024 तक विभिन्न जीनोटाइप की आनुवंशिक आकृति विज्ञान और गुणवत्ता का अध्ययन किया। अब फलन (300 से अधिक फल) और गुणवत्ता (आम के गूदे में घुली शर्करा, विटामिन और अन्य ठोस पदार्थों की मात्रा) का मिश्रण वाला फल मिला। पेड़ तैयार करने में एम. नूर, एसआर मीणा, कमला, अरविंद तेतरवाल, मनोज कुमार और सुमंत व्यास ने सहयोग किया।
इसलिए नहीं होते मरु भूमि में आम
आम को लवणीय परिस्थितियों के प्रति विशेष रूप से विकास के प्रारंभिक चरण में अत्यधिक संवेदनशील माना जाता है। लवणीय हालात में पत्तियों के सिरे और किनारे झुलस जाते हैं, पत्तियां मुड़ जाती हैं। वृद्धि कम हो जाती है, पत्तियां झड़ जाती हैं और पेड़ों की मृत्यु हो जाती है। जिससे अंकुरों का विकास अवरुद्ध हो जाता है। आम का पेड़ फल नहीं देता है।