scriptएआइ की चुनौती और अवसर समझने का समय | Time to understand the challenges and opportunities of AI | Patrika News
ओपिनियन

एआइ की चुनौती और अवसर समझने का समय

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता के नए दौर में इससे पैदा होने वाले अवसरों और चुनौतियों पर दुनिया में अब तक तो सिर्फ बहस चल रही थी, लेकिन अब उससे आगे सोचने और करने का समय आ गया है। ओपनएआइ के प्रमुख सैम ऑल्टमैन का यह बयान काफी मायने रखता है कि ह्यूमनॉइड रोबोट […]

जयपुरJun 19, 2025 / 10:35 pm

MUKESH BHUSHAN

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता के नए दौर में इससे पैदा होने वाले अवसरों और चुनौतियों पर दुनिया में अब तक तो सिर्फ बहस चल रही थी, लेकिन अब उससे आगे सोचने और करने का समय आ गया है। ओपनएआइ के प्रमुख सैम ऑल्टमैन का यह बयान काफी मायने रखता है कि ह्यूमनॉइड रोबोट और जनरेटिव एआइ जल्दी ही दुनियाभर में लाखों नौकरियों को प्रभावित कर सकते हैं। ऑल्टमैन की यह चेतावनी इसलिए भी मायने रखती है कि ओपनएआइ कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में दुनिया की सबसे अग्रणी कंपनी है। यह एआइ के नए-नए इस्तेमाल पर शोध करने और उसे आगे बढ़ाने के काम में लगी हुई है।
एआइ किस गति से मानव श्रम का स्थान लेगा, पक्के तौर पर इसकी कोई डेडलाइन तय नहीं की जा सकती, लेकिन ऑल्टमैन ने साफ कर दिया है कि एक-दो साल में ही काफी कुछ बदल जाएगा। एक ओर, तकनीकी नवाचार की अपार संभावनाएं हैं-प्रोडक्टिविटी बढ़ेगी, सेवाओं में तेजी आएगी और नए क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बनेंगे। दूसरी ओर, कम-से-कम 30 करोड़ नौकरियां ऐसी हैं जिन पर ऑटोमेशन का सीधा असर पड़ सकता है। यह चिंता का विषय है। दरअसल, तकनीकी विकास हमेशा अपने साथ चुनौतियां और जोखिम लाते हैं। तकनीक कुछ खास तरह के पेशे और काम के लिए खतरा बनती है तो कई नए अवसरों का रास्ता खोलती भी है। औद्योगिक क्रांति के बाद के बदलावों से हमने यह सीखा है। लेकिन, एआइ के अवसर और जोखिम दोनों पहले की तुलना में काफी अलग हैं। सबसे अलग है इसके विकास की गति। औद्योगिक क्रांति का दायरा तो सदियों तक कुछ देशों में सिमटा रहा। कम्प्यूटर क्रांति को भी पूरी दुनिया में फैलने या कहें कि सार्वभौमिक उपस्थिति दर्ज कराने में दशकों लग गए। उस दौरान दुनिया धीरे-धीरे उसे स्वीकार करने के लिए तैयार होती रही। नौकरियों पर खतरा आया पर अचानक नहीं। एआइ के साथ ऐसा नहीं है। एआइ के इस्तेमाल की बुनियादी सुविधा कम्प्यूटर और मोबाइल फोन के रूप में घर-घर में मौजूद है। एआइ तकनीक में मामूली अपडेट भी मिनटों में पूरी दुनिया में पहुंच जाता है। दुनिया की बड़ी-छोटी सभी तरह की कंपनियां एआइ का तुरंत स्वागत करने के लिए तैयार बैठी हैं।
औद्योगिक क्रांति दुनिया में मेहनतकश मजदूरों के लिए चुनौती बनकर आई थी। उसने श्रमिकों की भूमिका को बदल दिया और नए सोच को जन्म दिया। इस बार एआइ न सिर्फ ‘ब्ल्यू कॉलर’ मेहनतकश मजदूरों, बल्कि ‘वाइट कॉलर’ बुद्धिजीवियों को भी चुनौती देने आ रहा है। एआइ रचनात्मक और विश्लेषणात्मक कार्यों में लगे लोगों- लेखन, कोडिंग और ग्राहक सेवा के लिए भी खतरा बनेगा। भारत जैसे युवा आबादी वाले देशों पर यह वज्रपात बनकर टूट सकता है। इसलिए इस दिशा में गंभीरता से तैयारी करने की जरूरत है। यह तैयारी बुनियादी शिक्षा के स्तर पर ही शुरू हो जानी चाहिए।

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