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सम्पादकीय : मौसम के सटीक पूर्वानुमान का लाभ उठाना होगा

बीएफएस पहले से उपयोग में लाए जा रहे ग्लोबल फोरकास्ट सिस्टम (जीएफएस) से कहीं अधिक उन्नत है। ऐसे में इसके मौसम के सटीक अनुमानों का लाभ लोगों को मिल सकेगा।

जयपुरMay 28, 2025 / 08:21 pm

ANUJ SHARMA

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आइएमडी) ने मानसून का संशोधित पूर्वानुमान जारी करते हुए मानसून सीजन में सामान्य से अधिक और जून में सर्वाधिक बारिश की संभावना जताई है। यह पूरे देश के लिए खुशखबर है। वहीं पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने पुणे स्थित भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (बीएफएस) का शुभारंभ किया, जो केवल भारत बल्कि वैश्विक मौसम विज्ञान के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा। बीएफएस पहले से उपयोग में लाए जा रहे ग्लोबल फोरकास्ट सिस्टम (जीएफएस) से कहीं अधिक उन्नत है। ऐसे में इसके मौसम के सटीक अनुमानों का लाभ लोगों को मिल सकेगा।
दुनिया में कुछ दशक पहले तक चरम मौसमी घटनाएं दुर्लभ और अप्रत्याशित ही होती थी लेकिन पिछले कुछ सालों में जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसी घटनाओं में तेज से बढ़ोतरी हुई है। इनकी तेजी से बढ़ती आवृत्ति बड़े संकट की ओर इशारा करती है। ऐसे में बीएफएस की अधिक सटीकता और स्थानीय (जिला और पंचायत तक) स्तर तक मौसम की भविष्यवाणी बेहद उपयोगी साबित होंगी। भारी बारिश, तूफान और अन्य चरम मौसमी घटनाओं की भविष्यवाणी से लोग आपदा प्रबंधन की बेहतर तरीके से तैयारी कर सकेंगे। सबसे अच्छी बात है कि यह प्रणाली पूरी तरह स्वदेशी है। अधिक तेजी से गणना और भंडारण क्षमता वाले अर्का सुपरकंप्यूटर ने इस प्रणाली को और मजबूत बना दिया है जो पहले के सुपरकंप्यूटर की तुलना में आंकड़ों को अधिक तेजी से प्रोसेस करता है और पूर्वानुमानों को कुछ ही घंटों में बेहद सटीकता से उपलब्ध करा देता है।
हमारे देश की आधी से ज्यादा आबादी कृषि पर और कृषि मौसमी उतार-चढ़ाव पर निर्भर है। ऐसे में किसानों को मौसम की सटीक जानकारी समय पर मिल जाएंगी तो फसल बोने, सिंचाई करने, कटाई करने की योजना और अगली फसलों की तैयारी बेहतर तरीके से कर सकेंगे। वहीं सुमद्री हलचल की चेतावनी से मछुआरों की जान और आजीविका की रक्षा हो सकेगी।
हालांकि इस प्रणाली के लाभों को लोगों तक पहुंचाने के लिए जागरूकता और बुनियादी ढांचे का विकास जरूरी है। स्थानीय स्तर पर यह जानकारी अंतिम पायदान पर खड़े लोगों तक पहुंच सके, इसके लिए स्थानीय और सरल भाषा में पूर्वानुमानों को प्रसारित करना होगा। इसमें टीवी, रेडियो और सोशल मीडिया का लाभ उठा सकते हैं। वहीं मोबाइल अलर्ट और आइएमडी के ऐप का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। मौसम को लेकर पंचायतों, स्कूलों, और सामुदायिक केंद्रों के माध्यम से मौसम संबंधी प्रशिक्षण और कार्यशालाएं आयोजित करने की भी जरूरत है। मौसम वैज्ञानिकों, स्थानीय प्रशासन और गैर-सरकारी संगठनों के बीच सहयोग बढ़ाकर भी लोगों को जागरूक किया जा सकता है। ताकि लोग पूर्वानुमानों का लाभ उठा सकें और आपदाओं के दौरान खुद को सुरक्षित रख सकें। देश के दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ते कदमों के बीच बीएफएस प्रणाली विकसित भारत के सपने को धरातल पर उतारने का एक सशक्त माध्यम बन सकती है, बशर्ते इसका समुचित उपयोग हो हर व्यक्ति तक उपयोगी जानकारी पहुंचे।

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