वर्ष 2018 में भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकिंग व्यवस्था को संभावित जोखिमों से बचाने के लिए बैंकों को क्रिप्टो लेन-देन करने से रोक दिया था, लेकिन वर्ष 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रतिबंध को हटा दिया। अब इसी माह सरकार क्रिप्टो नीति पर चर्चा करने के लिए एक पत्र जारी करने की तैयारी में है। इसमें वित्तीय नियामक संस्थाएं, उद्योग प्रतिनिधि और आम जनता की राय शामिल होगी। इस नीति का उद्देश्य क्रिप्टो करेंसी को कानूनी रूप से एक स्पष्ट ढांचे में लाना है। क्रिप्टो करेंसी बैंकिंग सुविधाओं से वंचित लोगों को वित्तीय सेवाएं दे सकती है।
दुनिया में लाखों लोग ऐसे हैं जिनके पास बैंक खाता नहीं है। क्रिप्टो उन्हें एक डिजिटल वित्तीय प्रणाली में शामिल कर सकता है। अंतरराष्ट्रीय लेन-देन को तेज और सस्ता बनाया जा सकता है। भारत डिजिटल इंडिया की ओर बढ़ रहा है और क्रिप्टो करेंसी इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। रोचक बात यह कि भारत में 9 करोड़ 30 लाख क्रिप्टो मालिक हैं, जो कुल जनसंख्या का 6.55 प्रतिशत है, जो चीन (पांच करोड़ 90 लाख, 4.15 प्रतिशत) और अमरीका (पांच करोड़ 30 लाख, 15.56 प्रतिशत) की तुलना में अधिक है। यानि बगैर किसी ठोस नियम बने ही क्रिप्टो करेंसी लेन-देन में हम पूरी दुनिया में सर्वाधिक हैं।
वियतनाम में दो करोड़ 10 लाख लोग और संयुक्त अरब अमीरात में 30.4 प्रतिशत जनसंख्या क्रिप्टो का उपयोग कर रही है यानि जनसंख्या के प्रतिशत की दृष्टि से देखें तो संयुक्त अरब अमीरात वालों को क्रिप्टो खूब भा रहा है। क्रिप्टो करेंसी भारत के लिए फायदेमंद हो सकती है लेकिन इसके साथ कुछ चुनौतियां भी हैं। क्रिप्टो बाजार अत्यधिक अस्थिर है। कभी इसकी कीमतें आसमान छूती हैं, तो कभी यह अचानक गिर जाती है। इससे निवेशकों को बड़ा नुकसान हो सकता है। इसके अलावा, क्रिप्टो से जुड़े घोटाले और धोखाधड़ी भी बढ़ रहे हैं।
कई लोग क्रिप्टो निवेश के नाम पर फर्जी योजनाएं चलाते हैं। सरकार को इसे नियंत्रित करने के लिए कड़े नियम बनाने होंगे। साथ ही, क्रिप्टो मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध गतिविधियों में इस्तेमाल हो सकता है। क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य अभी अनिश्चित है लेकिन उज्ज्वल है। सरकार की जून 2025 में चर्चा पत्र जारी करने की योजना एक महत्त्वपूर्ण कदम है लेकिन इसे नियंत्रित करने के लिए सही नीतियां बनानी होंगी। भारत में क्रिप्टो को लेकर उत्साह है, लेकिन साथ ही इसके जोखिम भी हैं। सरकार ने अब तक सतर्क रुख अपनाया है। क्रिप्टो नीति पर चर्चा पत्र से भारत इस दिशा में एक कदम आगे बढ़ाएगा। अगर इस नीति को सही ढंग से लागू किया गया, तो भारत क्रिप्टो अपनाने वाले अग्रणी देशों में शामिल हो सकता है।