दरअसल वर्ष 2016 में संपत्ति विवाद के दौरान हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि संबंधित जमीन पर यथास्थिति बनाए रखी जाए। इसके बावजूद प्रतिवादी भैयालाल और रामसेवक ने 31 अगस्त 2016 को जमीन बृजेश कुमार- अजय कुमार को बेच दिया। इसको लेकर कधोरे ने हाईकोर्ट में अवमानना आवेदन लगाया। इस आवेदन का प्रतिवादियों ने जवाब दिया कि उन्हें अदालत के आदेश की जानकारी नहीं थी। उनके अनुसार वकील ने आदेश की प्रति नहीं बताई और इसलिए बिक्री जानबूझकर नहीं हुई। वहीं खरीदार पक्ष ने यही दलील दी कि विक्रेताओं ने रोक आदेश की जानकारी नहीं दी थी। कोर्ट ने इस बचाव को खारिज कर दिया और कहा कि आदेश हाईकोर्ट की वेबसाइट पर सार्वजनिक था, वकील की लापरवाही का बहाना मान्य नहीं है।
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कोर्ट ने यह दिया आदेश
सख्त कार्रवाई के आदेश -31 अगस्त 2016 का विक्रय विलेख (रजिस्ट्री) अमान्य घोषित। – यदि इकोई नामांतरण हुआ है तो उसे तुरंत रद्द किया जाए। – चारों प्रतिवादियों की संपत्तिा अटैच की जाएंगी। -भिंड कलेक्टर को निर्देश दिया गया कि 17 सितंबर तक सभी संपत्तियों का विवरण प्रस्तुत करें। -22 सितंबर को अदालत पुन: सुनवाई करेगी और प्रतिवादियों की व्यक्तिगत उपस्थिति अनिवार्य होगी।