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शिशु को जन्म देने के तीन माह बाद फिर प्रेग्नेंन्ट हुई महिला, गर्भ में थे जुड़वा बच्चे, डॉक्टर हैरान

-दोबारा मां बनने की उम्मीद न होने से नहीं कराई कोई जांच, मां सहित बच्चों की मौत
-डेथ रिव्यू में सामने आया मामला, भोपाल को भेजी रिपोर्ट
-चिकित्सा विभाग के लिए शोध का विषय

दमोहMay 18, 2025 / 11:20 am

आकाश तिवारी


आकाश तिवारी
दमोह. बच्चे को जन्म देने के तीन महीने बाद दोबारा गर्भवती हुई महिला का अजीबो गरीब मामला सामने आया है। हालांकि दुखद बात यह है कि दोबारा मां बनने की जानकारी न होने से मां सहित जुड़वा बच्चों की मौत हो गई। इस घटना से विशेषज्ञ भी हैरान है। अमूमन कोई गर्भवती महिला शिशु को जन्म देती है तो छह महीने तक वह दोबारा गर्भवती नहीं हो सकती है। मेडिकल की भाषा में इस तरह के केस को लैक्टेशनल एमेनोरिया कहा जाता है। खासबात यह है कि क्षेत्रीय संचालक ने इस मामले का खुद डेथ रिव्यू किया और जानने की कोशिश की कि महिला इतनी जल्दी दोबारा मां कैसे बनी। हालांकि जांच में तथ्य सामने नहीं आए हैं।
-गफलत में गंवाई खुद व जुड़वा बच्चों की जान
हटा के भैंसा गांव निवासी भूरी पति अशोक आदिवासी २५ दूसरी बार मां बनी थी। उसे साढ़े पांच महीने का गर्भ था। लेकिन उसे इस बात का जरा भी अंदेशा नहीं था कि वह स्तनपान की अवस्था में दोबारा मां बन चुकी है। इस दौरान उसने कोई जांच नहीं कराई। २० मार्च को पेट की तकलीफ के चलते परिजन उसे हटा अस्पताल लेकर पहुंचे। डॉक्टरों ने दमोह जिला अस्पताल रेफर कर दिया। २१ मार्च को जब उसकी सोनोग्राफी जांच कराई तो डॉक्टर हैरान रह गए। गर्भ में जुड़वा बच्चे होना पाए। २२ मार्च को प्रसव पीड़ा होने लगी। इस दौरान एक प्रीमिच्योर मृत बच्ची पैदा हुई। दूसरा बच्चा बच्चादानी में फंस गया, जिसे ऑपरेशन से बाहर निकाला गया। प्रसव के बाद अचानक महिला हालत बिगडऩे लगी, जिसे गंभीर हालत में जबलपुर रेफर किया गया। किडनी भी खराब होने लगी। सात दिन बाद २४ मार्च को उसने भी दम तोड़ दिया।
-जांच में नहीं हुआ खुलासा, भोपाल भेजी रिपोर्ट
इस मामले में क्षेत्रीय संचालक डॉ. नीना गिडियन ने जांच की। हालांकि जांच में यह नहीं मालूम चल सका कि यह महिला इतनी जल्दी दोबारा कैसे मां बनी। जांच के दौरान किसी भी प्रकार का चेकअप कराया जाना नहीं पाया गया। बताया जाता है कि क्षेत्रीय संचालक ने उक्त रिपोर्ट भोपाल भेजी है, जहां से इस पर शोध होने की उम्मीद है।
वर्शन
जिस केस का डेथ रिव्यू किया है। वह यूनिक था। स्तनपान अवस्था में महिला गर्भवती हुई थी, जो संभव बात नहीं है। रेयर केस में ऐसा होता है। प्रसव के बाद डेढ़ साल तक पीरियड नहीं होते हैं। ऐसे में महिला को गर्भवती होने की बात नहीं पता चली, पर परिजनों को लक्षण के आधार पर जांच कराना थी।
डॉ. नीना गिडियन, क्षेत्रीय संचालक सागर

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