एमआर-4 सड़क सरवटे बस स्टैंड से शुरू होकर एमआर-10 स्थित कुमेड़ी के आइएसबीटी के पास खत्म होती है। इससे बनने से मरीमाता, बाणगंगा और एमआर-10 का ट्रैफिक डायवर्ट होगा। यह सड़क मास्टर प्लान में 45 मीटर चौड़ी है, लेकिन इसे 30 मीटर कर दिया गया है।
आंकड़ा 200 पार
10 साल पहले आइडीए ने सड़क निर्माण शुरू किया था, जिसे बाद में नगर निगम को सौंप दिया गया। सड़क की सबसे बड़ी बाधा भागीरथपुरा बस्ती के मकान हैं, जहां बॉटल नेक की स्थिति है। कुछ समय पहले तक 80 मकान थे, जिसमें 150 परिवार रहते हैं। पिछले महीने निगम ने जो सूची जारी कि उसमें आंकड़ा 200 पार हो गया है। सूची के रहवासियों के हाथ में आते ही क्षेत्र में हड़कंप मचा हुआ है। यह भी खुलासा हुआ कि रेलवे ने अपनी जमीन के अलावा अतिरिक्त जमीन मांग ली है। ये भी पढ़ें: अब हर घर का होगा ‘डिजिटल एड्रेस’, सभी को मिलेगा पर्सनल ‘क्यूआर कोड’ डेढ़ किमी का पेंच, रेलवे की चेतावनी
एमआर-4 की कुल लंबाई 2.6 किमी है, जिसमें से काफी हिस्से में निर्माण हो चुका है। कुछ जगह पर सड़क की चौड़ाई 60 तो कहीं 80 फीट है। बस्ती क्षेत्र का हिस्सा बनना बाकी है। 36 करोड़ में यह सड़क बनाई जानी है। 2016 के सिंहस्थ से पहले आइडीए ने एमआर-4 का कुछ हिस्सा बनाया था तो रेलवे ने अपनी जमीन से रास्ता दिया। वर्तमान की 12 फीट सड़क रेलवे की जमीन पर है। रेलवे इसके अतिरिक्त जमीन मांग रहा है, ताकि रेलवे स्टेशन का विस्तार हो सके।
रेलवे अपनी जमीन को लेकर निगम को कई बार चेतावनी दे चुका है और किसी भी दिन रास्ता बंद कर देगा। पार्षद वाघेला ने बताया कि एमआर-4 के लिए रहवासी जमीन देने को तैयार हैं, लेकिन वे जमीन के बदले जमीन या बाजार की कीमत मांग रहे हैं। 88 लोगों के पास रजिस्ट्री है। कई लोगों के मकान के नक्शे पास हैं तो बाकी के पास अन्य दस्तावेज हैं। निगम द्वारा सूची जारी करने के बाद मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, महापौर पुष्यमित्र भार्गव और अधिकारियों से बात की है। रहवासियों के हित में निराकरण होने पर ही विस्थापन होगा।
जमीन के बदले जमीन या बाजार मूल्य
रहवासियों का कहना है कि वे 1936 में यहां बसे थे। उन्होंने निगम के जिम्मेदारों को साफ कर दिया है कि जमीन के बदले जमीन दो या बाजार मूल्य से मुआवजा दिया जाए। जब तक निराकरण नहीं होगा, हम हटेंगे नहीं। रहवासी पीएम आवास में फ्लैट लेने से इनकार कर रहे हैं।