आमतौर पर आरबीआइ और सरकार उपभोक्ता के हितों और देश की तत्कालीन अर्थव्यस्था को देखते हुए रेपो रेट और और सीआरआर में कटौती करते हैं। इस राहत को व्यावसायिक बैंकों के माध्यम से लोन की ब्याज दरों में कटौती कर देश के उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जाता है, यदि बैंक इस लिक्विडिटी को अपने अन्य एनपीए के कारण होने वाले घाटे की पूर्ती में लगा देते हैं तो पूरी राहत उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंचती।
मुकेश जैन, बैंकिंग विशेषज्ञ
आरबीआइ की रेपो रेट में कटौती से रियल एस्टेट में जोरदार उत्साह जगा था, लेकिन बैंकों की ओर से इसे उम्मीद के मुताबिक समर्थन नहीं मिला, यदि बैंक उसी तुलना में होम और अन्य लोन पर ब्याजदर में कटौती करते, तो रियल एस्टेट को बूस्ट मिलता, जिससे करीब 300 अन्य सेक्टर में भी व्यापार और रोजगार बढ़ता।
रितेश अग्रवाल, रियल एस्टेट एक्सपर्ट
होमलोन धारक मनीष गुप्ता का कहना है कि मैंने कटौती होने के बाद अपने बैंक से संपर्क किया, लेकिन कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिल रहा। बैंक का कहना है कि पुरानी बेंचमार्किंग प्रणाली और ब्याज दरों को संशोधित करने में कुछ समय लगता है। जबकि सरकार और आरबीआइ दोनों ही इस बात पर जोर देते आए हैं कि रेपो रेट में बदलाव का लाभ जल्द से जल्द आम ग्राहकों तक पहुंचा चाहिए।
लोन अवधि ब्याज दर ईएमआइ कुल ब्याज रकम चुकानी होगी
20 लाख 20 साल 8 प्रतिशत 16729 20.14 लाख 40.14 लाख
20 लाख 20 साल 7.5 16112 18.66 लाख 38.55 लाख
फायदा — 0.50 617 1.48 लाख 1.48 लाख
- क्या पुराने और नए लोन दोनों पर समान फायदा मिलेगा?
— आरबीआइ के मुताबिक फ्लोटिंग रेट लोन को रेपो रेट के हिसाब से समय-समय पर रीसेट करना जरूरी है। इसका मतलब है कि जिन लोगों ने पहले से लोन लिया है, उनकी ब्याज दर अपने आप कम हो जाएगी, क्योंकि बैंक को रेपो रेट के घटने का फायदा देना पड़ता है। लेकिन, नए लोन लेने वालों को शायद पूरा फायदा न मिले। ऐसा इसलिए, क्योंकि बैंक अपने मुनाफे को बचाने के लिए रेपो रेट के ऊपर जो अतिरिक्त मार्जिन यानी, स्प्रेड जोड़ते हैं, उसे बढ़ा सकते हैं। - क्या पुराने लोन वाले फिक्स्ड से फ्लोटिंग में स्विच कर सकते हैं?
अगर आपका लोन एमसीएलआर या फिक्स्ड रेट से जुड़ा है, तो आप बैंक से बात करके इसे आरएलएलआर में स्विच कर सकते हैं। हालांकि, इसके लिए कुछ फीस देनी पड़ सकती है। अगर आपका लोन अभी शुरुआती सालों में है, तो स्विच करने से लंबे समय में ब्याज की बचत हो सकती है।