बढ़ती थकान और टूटती हिम्मत कंटेंट क्रिएटर्स लगातार हाई-क्वालिटी कंटेंट बनाने, ट्रेंड्स को फॉलो करने और फॉलोअर्स से जुड़े रहने के दबाव में मानसिक थकान का सामना कर रहे हैं। लगातार ऑनलाइन रहने और निजी जीवन को साझा करने का भावनात्मक बोझ भी उनके स्वास्थ्य पर असर डाल रहा है।
एल्गोरिद्म और पहचान का संकट सोशल मीडिया के बदलते एल्गोरिद्म के कारण कंटेंट कब चलेगा और कब नहीं, यह अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है। साथ ही, हर ट्रेंड के पीछे भागने की होड़ में कई क्रिएटर्स अपनी असली पहचान और मौलिकता खो रहे हैं।
क्यों टूट रहा क्रिएटर्स का सपना 1. आर्थिक अस्थिरता: – घटता विज्ञापन रेवेन्यू – छोटे क्रिएटर्स को ब्रांड डील्स नहीं मिलना – बढ़ती प्रतिस्पर्धा 2. मेंटल हेल्थ पर असर:
– कंटेंट बनाने का लगातार दबाव – लाइक्स और कमेंट्स की चिंता – थकान और अनिद्रा 3. एल्गोरिद्म की अनिश्चितता: – कब कौन-सा कंटेंट चलेगा, तय नहीं – लगातार पोस्ट करने की मजबूरी
4. प्रामाणिकता की कमी: – ट्रेंड्स के पीछे भागने से अपनी शैली का नुकसान 5. सीमाएं तय न कर पाना: -निजी और पेशेवर जीवन में अंतर मिट जाना -एक साथ कई भूमिकाओं का बोझ