सावधान दाेस्त गांव में दो अच्छे दोस्त रहते थे- राहुल और अजय। दोनों रोज दोपहर में पास के जंगल में जाकर खेलते और खूब मस्ती करते। एक दिन वे खेलते-खेलते थक गए और एक पेड़ के नीचे बैठकर आराम करने लगे। अचानक अजय ने ऊपर देखा तो उसकी आंखें डर से फैल गईं। उसने देखा पेड़ की डाली पर एक बड़ा जहरीला सांप लटका हुआ है और धीरे-धीरे नीचे झुक रहा है। अजय डर के मारे कांपने लगा और चिल्लाने ही वाला था, लेकिन उसने तुरंत खुद को संभाला। उसने शांति से राहुल का हाथ पकड़ा और धीरे से बोला, राहुल, बिना ऊपर देखे धीरे-धीरे उठो और मेरे साथ चलो। राहुल कुछ समझ नहीं पाया पर अजय की गंभीरता देखकर उठ खड़ा हुआ। जैसे ही वे थोड़ी दूर आए, अजय ने राहुल को सारी बात बताई। राहुल भी डर गया और बोला, अगर तुम चिल्लाते तो शायद सांप हमें काट लेता। दोनों ने समझदारी से स्थिति को संभाला और सही समय पर वहां से निकल गए। उस दिन के बाद वे जब भी बाहर खेलने जाते, तो पहले चारों ओर सावधानी से देखते।
अर्षिता जैन,उम्र-11वर्ष ………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………….. जंगल का जादुई सफर- रिया और टीना का राज एक घने जंगल में रिया और टीना नाम की दो सहेलियां रहती थीं। उन्हें जंगल में घूमना और नई चीजें खोजना बहुत पसंद था। एक दिन वे जंगल के एक नए हिस्से में पहुंचीं। वहां उन्हें जमीन पर एक पुराना फंदा दिखा। फंदे में एक बहुत ही अजीब और सुंदर सांप फंसा हुआ था। उसके शरीर पर ऐसी चमक थी जैसे उस पर छोटे-छोटे रंगीन पत्थर लगे हो। उसकी फु फकार भी थोड़ी अलग और रहस्यमयी लग रही थी। रिया और टीना थोड़ा डर गईं, लेकिन उन्हें उस बेबस सांप पर दया भी आई। उन्होंने सावधानी से फंदा खोलने का फैसला किया। बहुत धीरे-धीरे, उन्होंने फंदा खोला और सांप आजाद हो गया। जैसे ही सांप आजाद हुआ, वह जमीन पर लहराया और अपनी चमकीली चमड़ी को थोड़ा सा रगड़ा, जिससे एक छोटा सा चमकीला पत्थर जमीन पर गिर गया। पत्थर के ठीक नीचे उन्हें एक छिपा हुआ रास्ता दिखाई दिया। रिया और टीना रोमांच से भर गईं और उस रास्ते पर चल पड़ीं। रास्ता उन्हें एक बड़ी गुफा में ले गया। गुफा के अंदर का नजारा अद्भुत था! वहां जमीन पर और दीवारों पर ऐसे ही चमकते हुए पत्थर बिखरे पड़े थे। वे कोई आम पत्थर नहीं थे, बल्कि जादूई रोशनी से भरे हुए क्रिस्टल थे। रिया और टीना ने कुछ सबसे सुंदर क्रिस्टल उठाए। उन्हें पता था कि उन्होंने जंगल में एक बहुत बड़ा राज खोज लिया है। वे चुपचाप घर लौट आईं। उन्होंने इस जादुई खोज के बारे में किसी को नहीं बताया, लेकिन अब जंगल उनके लिए सिर्फ एक जगह नहीं, बल्कि रहस्यों और जादू से भरी एक अद्भुत दुनिया बन गया था।
तिशा अग्रवाल,उम्र-13वर्ष …………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………….. पेड़ पर छुपा खतरा एक दिन गर्मी की छुट्टियों में दो दोस्त अंश और विवेक पास के जंगल में खेलने गए। दोनों दोस्त बहुत खुश थे। वे इधर-उधर दौड़ते, पेड़ पर चढ़ते और पक्षियों की आवाजें सुनते हुए हंसी-मजाक कर रहे थे। खेलते-खेलते वे एक पेड़ के नीचे बैठ गए और आपस में बातें करने लगे। तभी अंश ने ऊपर देखा तो उसकी आंखें डर से फैल गईं। पेड़ की डाल पर एक बड़ा सांप लटक रहा था। सांप चुपचाप झाडिय़ों से लिपटा हुआ उन्हें देख रहा था। अंश ने कांपती आवाज में विवेक से कहा, विवेक… ऊपर देखो! विवेक ने ऊपर देखा और डर से उसका मुंह खुला का खुला रह गया। दोनों बच्चों को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें। वे हिलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे। फिर अंश ने धीरे से इशारा किया कि बिना आवाज किए उठो और पीछे हटो। दोनों ने सांप की नजरें बचाकर धीरे-धीरे वहां से हटना शुरू किया। कुछ दूरी पर पहुंचते ही वे तेजी से भागे और गांव आकर अपने माता-पिता को सब कुछ बताया। बड़ों ने बच्चों की समझदारी की सराहना की और समझाया कि जंगल में हमेशा सतर्क रहना चाहिए। सीख- खतरे की स्थिति में घबराने की जगह सूझबूझ से काम लेना चाहिए।
कनिष्क,उम्र-12वर्ष …………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………….. सांप से मिली सीख चिंटू और मिंटू बगीचे में खेल रहे थे। तभी उन्हें एक पेड़ पर एक सांप दिखाई दिया। जो कांटों में फंसा हुआ था। दोनों डर गए। तभी मिंटू बोला, अरे देखो, पेड़ पर सांप है! यह तो हमें खा जाएगा। चिंटू, चलो भाग चलते हैं। तभी चिंटू बोला, अरे, अगर तुम ऐसी किसी मुसीबत में फंस जाओ और तुम्हारी मदद कोई न करे, तो तुम्हें कैसा लगेगा? मिंटू ने कहा, मुझे माफ कर दो चिंटू, मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया है। चलो, सांप की मदद करते हैं। दोनों ने मिलकर सांप को बचा लिया। सांप को बचाने के बाद वे दोनों अच्छे दोस्त बन गए और घर जाकर उन्होंने अपने माता-पिता को भी सब बताया। उनके माता-पिता ने कहा, बच्चों, हमेशा दूस रों की मदद करनी चाहिए। सीख- हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए, चाहे वे कोई भी हों।
विनायक सोनी,उम्र-13वर्ष …………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………….. दो दोस्त और पेड़ पर सरका सांप रोहन सोहन नाम के दो दोस्त थे। जंगल के जाने की सोची और दूसरे दिन जंगल को घूमने का तय किया। फिर दोनों जंगल के लिए निकल पड़े। दोनों ने इधर-उधर प्राकृ तिक सौन्दर्य को निखारा। आगे जाकर उन्होंने एक पेड़ पर सांप को सटका हुआ देखा। सांप अपनी लम्बी-लम्बी जीभ निकाल रहा था। सांप को देख दोनों दोस्त डर गए। यह देख उनकी पैरों तले जमीन खिसक गई। दोनों दोस्त नीचे गिर पड़े। फिर कुछ देर उन्होंने सांप को देखा। उन्होंने देखा कि सांप जाल में अटका हुआ है। दोनों दोस्त ने हिलाकर करके जाल को काटकर सांप को आजाद किया। और वहां से चल दिए। इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी डरना नहीं चाहिए है और बुद्धि से काम लेना चाहिए। और दूसरे लोगों कि मदद करनी चाहिए चाहे वे जानवर हो, चाहे वो मनुष्य हो या फिर पक्षी हो।
कीर्ति सुवालका,उम्र-13वर्ष …………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………… सांप का खतरा एक बार दो दोस्त रवि और मोहित जंगल की सैर पर गए। दोनों बहुत खुश थे और पेड़ों के नीचे बैठकर आराम कर रहे थे। ठंडी हवा चल रही थी और चारों तरफ हरियाली फैली हुई थी। दोनों दोस्त आपस में बातें कर रहे थे और कुछ खाने का प्लान बना रहे थे। इसी दौरान एक पेड़ की डाल पर एक जहरीला सांप चुपचाप लटक रहा था। वह धीरे-धीरे नीचे की ओर खिसक रहा था। रवि की नजर ऊपर गई तो वह चौंक गया। उसकी आंखों के सामने एक बड़ा सांप था जो उनकी ओर बढ़ रहा था। रवि घबराकर चिल्लाया, मोहित! सांप! जल्दी भागो! मोहित ने जैसे ही ऊपर देखा वह डर के मारे जमीन पर गिर पड़ा। दोनों दोस्त जल्दी-जल्दी उठे और वहां से भाग खड़े हुए। भागते हुए उन्होंने तय किया कि अब बिना सोचे-समझे किसी भी जगह नहीं बैठेंगे। उन्होंने यह भी सीखा कि प्रकृ ति सुंदर तो है, लेकिन सावधानी हमेशा जरूरी होती है। उस दिन के बाद रवि और मोहित ने जंगल में जाने से पहले हमेशा पहले चारों ओर अच्छे से देखना सीख लिया। सीख- खतरा कभी भी कहीं से भी आ सकता है, सतर्क रहना जरूरी है।
काश्वी लठ,उम्र-08वर्ष ………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………….. सांप से दोस्ती राहुल और श्याम दोनों परम मित्र थे। एक दिन वे दोनों अपने स्कूल के बाद एक पेड़ के नीचे आराम से बातचीत कर रहे थे। तभी अचानक उन्हें वहां एक सांप दिखाई दिया। वे दोनों डर के मारे चिल्लाने लगे! सभी वहां इकट्ठा हो गए। उन्होंने देखा कि सांप पेड़ से नीचे गिर गया है और अब तड़प रहा है। उन्होंने उसे अपने पास आने की कोशिश करते देखा। उन्होंने सोचा कि शायद वह प्यासा है। उसके लिए दूध ले आए पर उसने बहुत देर तक दूध नहीं पिया। फिर धीरे-धीरे उसने थोड़ा-थोड़ा दूध पीना शुरू किया। कुछ ही दिनों में वह सांप ठीक हो गया और उनका अच्छा दोस्त बन गया। उन्होंने उसका नाम रखा दूधू, क्योंकि वह सिर्फ दूध ही पीता था। एक दिन दूधू बीमार हो गया, लेकिन ठीक होकर वापस आ गया। इस तरह दूधू उन दोनों का अच्छा दोस्त बन गया और एक अच्छी याद भी बन गया।
पुष्पराज सिंह चंद्रावत,उम्र-12वर्ष ……………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………. सांप और समझदारी एक बार की बात है, दो दोस्त अर्जुन और विनय जंगल में खेलने गए थे। दोनों बहुत अच्छे मित्र थे और हर रविवार को साथ में नई जगहों की सैर पर निकलते थे। इस बार वे थोड़े गहरे जंगल में चले गए। खेलते-खेलते वे एक बड़े पेड़ के पास पहुंचे। अर्जुन ने देखा कि पेड़ की डाल पर एक बड़ा और खतरनाक सांप लटका हुआ है, जो धीरे-धीरे नीचे की ओर सरक रहा था। अर्जुन डर के मारे चिल्लाया, विनय, सांप! विनय ने ऊपर देखा और डर के मारे गिर पड़ा। उसकी चीख सुनकर सांप और भी तेजी से नीचे आने लगा। अर्जुन ने तुरंत समझदारी दिखाई। उसने पास पड़ी एक मोटी लकड़ी उठाई और धीरे-धीरे सांप की दिशा से दूर हवा में हिलाते हुए आवाज की ताकि सांप का ध्यान बंटे। सांप कुछ देर में रेंगकर वापस पेड़ पर चला गया। अर्जुन ने विनय को उठाया और कहा, डरना नहीं चाहिए, बल्कि ऐसी स्थिति में हमें शांत दिमाग से काम लेना चाहिए। विनय ने अर्जुन को गले लगा लिया और कहा, आज तुमने मेरी न बचाई। तुम्हारी सूझबूझ काबिले-तारीफ है। उस दिन दोनों ने सीखा कि साहस और समझदारी मिलकर किसी भी खतरे से निपट सकते हैं।
अविका बंसल,उम्र-12वर्ष ……………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………. तीन दोस्त चून्नू-मून्नू दोनों पक्के दोस्त थे। एक दिन वे दोनों घर के पास वाले बगीचे में खेलने के लिए गए। खेलते खेलते वे एक पेड़ के नीचे पहुंचे जैसे ही वे आराम करने के लिए पेड़ के नीचे बैठे टहनी से निकल कर एक सांप आया। चून्नू और मून्नू दोनों उसे देख कर डर गए। सांप ने कहा डरो मत मैं तूम्हे डराने नहीं आया हूं। मैं तो बस यहां देखने आया हूं कि मेरे इलाके में कौन आया है। उसके बाद उन तीनों की दोस्ती हो गई। अब से चून्नू और मून्नू दोनों दोस्त अपने नए दोस्त से रोजाना मिलने जाने लगे।
भानु प्रताप सिंह,उम्र-9वर्ष …………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………… सांप से दोस्ती एक समय की बात है रोहन और रोहित बगीचे में खेल रहे थे। वह खेलते-खेलते एक पेड़ के पास पहुंच गए। पर उन्हें वहां पर एक अजीब और डरावनी आवाज सुनाई दी। उन्होंने चारों तरफ देखा वहां कोई नहीं था। उस समय रोहित की नजर एक पेड़ पर गई। वहां एक सांप था। उसे देख कर वे बहुत डर गए पर परन्तु सांप ने कहा डरो नहीं मैं इच्छाधारी सांप हूं। मुझे एक सपेरा पकडऩा चाहता था। उसने डंडे से मुझे घायल कर दिया। मैंने बहुत मुश्किल से पेड़ पर चढ़कर अपनी जान बचाई। तुम मेरी मदद करो। रोहन और रोहित ने उसे नीचे बुलाकर उसकी मरहम पट्टी की। सांप ने उन्हें धन्यवाद दिया और उपहार में उन्हें तरह-तरह के खिलौने और फल दिए। दोनों बहुत खुश हुए और घर चले गए। अब सांप उनका दोस्त बन गया था। वो जरूरत पडऩे पर हमेशा उनकी मदद करता था।
उन्नति मेनारिया,उम्र-9वर्ष ………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………….. सांप का डर एक गर्म दोपहर में दो दोस्त रवि और अमित गांव के बाहर जंगल में खेल रहे थे। वे पेड़ों पर चढ़ रहे थे और एक-दूसरे का पीछा कर रहे थे। जब अचानक रवि की नजर ऊपर एक पेड़ की डाल पर पड़ी। वहां एक बड़ा, मोटा सांप लटका हुआ था, जो उन्हीं की तरफ देख रहा था। रवि की आंखें डर से फैल गईं और उसने अमित को धक्का देकर कहा, सांप! अमित ने ऊपर देखा और उसकी भी हालत खराब हो गई। दोनों दोस्त वहीं जम गए, डर के मारे उनकी आवाज नहीं निकल रही थी। सांप धीरे-धीरे नीचे खिसक रहा था और उनकी धड़कनें तेज हो गईं। उन्हें लगा कि अब उनकी खैर नहीं। तभी सांप ने एक तेज फु फकार भरी और अचानक नीचे कूद गया। सांप उनके पास से गुजरता हुआ घास में गायब हो गया। रवि और अमित ने एक-दूसरे को देखा उनके चेहरे पसीने से भीगे हुए थे। उन्होंने राहत की सांस ली और तुरंत उस जगह से भाग खड़े हुए। उस दिन के बाद से उन्होंने कभी भी जंगल में अकेले खेलने की हिम्मत नहीं की। उन्हें सांप से मिला वह डर हमेशा याद रहा।
विनायक,उम्र-12वर्ष ……………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………. सद्भावना एक गांव में दक्ष और अक्षय नाम के दो लड़के रहते थे। वे दोनों अच्छे मित्र थे। वे हर शाम घर के पास लगे एक पेड़ पर चढ़कर खेलते थे। एक दिन दक्ष को पेड़ के नीचे एक बिल दिखा। वह सांप का बिल था। उसने अक्षय को कहा कि यह सांप का बिल हो सकता है, चलो सांप के अंडे देखें! दोनों उस बिल के पास गए और बिल पर पत्थर मारने लगे। उसे तोडऩे की कोशिश करने लगे। तभी वहां से एक विषैला सांप निकला। उस बिल में उसी सांप के अंडे थे। दोनों दोस्त डर के मारे पेड़ पर चढ़ गए। लेकिन वह सांप भी उनके पीछे चढ़ गया। वे डर के मारे पेड़ से नीचे गिर पड़े। वह सांप पेड़ से ही अपना फन ऊंचा करके डराने लगा। उनको लगा मानो सांप गुस्से से बोल रहा है कि अगली बार किसी के घर को नुकसान न पहुंचाना। इस घटना के बाद दक्ष और अक्षय दोनों ने यह प्रण लिया कि आज से वे किसी प्राणी को इस तरह परेशान नहीं करेंगे। सीख- हमें अपने आसपास के सभी प्राणियों के प्रति सद्भाव रखना चाहिए चाहे वह कोई जीव-जन्तु ही क्यों न हो।
कोविद परिहार,उम्र-12वर्ष ………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………….. धड़ाम से गिरे मेरा नाम आरव है और मेरा सबसे अच्छा दोस्त मोहन है। हम दोनों हर रविवार को पास वाले बगीचे में खेलने जाते हैं। वहां बहुत सारे पेड़ और हरी-हरी घास होती है। हम वहां खूब शोर मचाते हैं, पेड़ों के पीछे छिपन-छिपाई खेलते हैं और जमीन पर लुड़क-लुड़क कर हंसते हैं। एक दिन हम जैसे ही पेड़ के नीचे खेल रहे थे, मोहन ने ऊपर देखा और जोर से चिल्लाया अरे आरव! ऊपर सांप है! मैंने जब ऊपर देखा, तो सच में एक बड़ा सा सांप टहनी पर लटका हुआ था और हमें देख रहा था। हम दोनों डर के मारे जोर से चिल्लाए और धड़ाम से जमीन पर गिर गए। मोहन ने आंखें बंद कर लीं और मैं पीछे की तरफ गिर गया। हमें लगा सांप अभी कूदेगा, लेकिन वह तो बस हिल रहा था। फिर हम धीरे-धीरे वहां से भाग गए और दूर जाकर खूब हंसे। अब जब भी हम खेलने जाते हैं, पहले ऊपर देखते हैं कहीं सांप ना हो!
भाविशा पाटीदार,उम्र-9साल ……………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………. पेड़ की डाली पर मौत जंगल के किनारे बसा था एक छोटा-सा गांव शांत, प्यारा और मासूम। लेकिन उस गांव के पीछे था एक घना जंगल, जहां दिन में भी डर की चादर तनी रहती थी। गांव के बच्चे वहां कभी नहीं जाते थे। सिवाय दो के आरव और नील। आरव तेज दिमाग, पर थोड़ा घमंडी। नील सीधा, लेकिन बहादुर। एक दिन स्कूल की छुट्टी के बाद आरव ने नील से कहा चल, जंगल में चलते हैं! वहां पेड़ों पर चढ़कर खेलेंगे। डरपोक नहीं बनना! नील बोला, वहां तो लोग कहते हैं सांप हैं, भूत हैं… अरे, भूत-भूत कुछ नहीं होता। तू बस मेरे पीछे आ! आरव की बातों में जोश था, नील डर के बावजूद चल पड़ा। खेल… जो मौत से शुरू हुआ। जैसे ही दोनों जंगल में पहुंचे, एक पुराना सूखा पेड़ दिखा। उस पर चढऩे की जिद आरव ने पकड़ ली। नील नीचे बैठकर देख रहा था, तभी आरव की चीख निकली नील! पीछे देख! नील ने मुड़कर देखा और उसका दिल धड़कना भूल गया। एक भयानक अजगर, पेड़ की सबसे ऊपरी शाखा से झूल रहा था, और उसकी आंखें सीधी आरव की तरफ थीं। उसकी जीभ बाहर निकल रही थी, जैसे शिकार को चख रहा हो। नील का दिमाग सुन्न था, आरव का चेहरा पीला पड़ चुका था। अजगर धीरे-धीरे फुफकारता नीचे झुकने लगा। आरव पेड़ से नीचे गिरा और जमीन पर आ गया। अब दोनों बच्चे नीचे थे। नील कांपते हुए बोला, भाग चलें! लेकिन तभी कुछ ऐसा हुआ जो कोई सोच भी नहीं सकता था। एक छोटी चीज, बड़ी समझ। नील ने जल्दी से अपनी जेब से पेंसिल बॉक्स निकाला, जिसमें एक छोटा शीशा था। उसने वो शीशा अजगर की आंखों की तरफ घुमा दिया, सूरज की रोशनी सीधी उसकी आंखों में पड़ी। अजगर एक झटके से पीछे हट गया। तिलमिलाया और फिर फुफकारता हुआ वापस पेड़ पर चढ़ गया। दोनों बच्चे भागते हुए गांव की तरफ दौड़ पड़े। उनके पैर कांप रहे थे, दिल अभी भी उछल रहा था। गांव में हड़कंप और सीख जब गांव के बड़े-बुजुर्गों ने ये किस्सा सुना, तो पूरे गांव में अफवाह फैल गई- नील ने अपने दिमाग से अजगर को भगा दिया! आरव ने मानी अपनी गलती घमंड तोड़ गया उसका! गांव के स्कूल में अगले दिन बच्चों को यह कहानी सुनाई गई और बोर्ड पर लिखा गया- डर मत करो, दिमाग चलाओ। बहादुर वही है जो मुसीबत में सोचता है, न कि जो बेवजह मुसीबत में पड़ता है। सीख- बहादुरी शोर मचाने में नहीं, सोचने में होती है। घमंड इंसान को खतरे में डालता है। मुसीबत के वक्त छोटी-छोटी चीजें भी बड़ी मदद कर सकती हैं। दोस्तों के लिए जान की बाजी लगाना नहीं, सही फैसला लेना असली दोस्ती है।
खुश चौरसिया,उम्र-10वर्ष ………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………….. चिंकू-मिंकू और जहरीला सांप चिंकू और मिंकू दो भाई थे। वह दोनों बच्चे थे। उन्होंने सोचा कि हम कहीं पर घूमने चलते हैं। उनको एक विचार आया कि हम जंगल में चलते हैं। जंगल में वह पहुंचे तब थोड़ी दूर एक घने वृक्ष के नीचे आराम करने रुके। आराम करने के बाद वह उठे तब उन्होंने एक सांप देखा। वह दोनों घबरा गए और भागते-भागते एक झोपड़ी के पास पहुंचे। जहां पर एक बुढिय़ा खटिया पर बैठ थी और गीत गा रही थी। हम दोनों को उसका गीत सुनने में अच्छा लगा। बुढिय़ा आंखें बंद कर गा रही थी। जब आंखें खोली तो उसने कहा तुम कौन हो बेटे कहां से आए हो। दादी आप बहुत अच्छा गीत गाती हो। हम दोनों जंगल में घूमने गए थे। यहां सांप देखकर डर गए थे। हम स्कूल से आए थे। अब स्कूल वापस जाएंगे। लंच खत्म हो गया होगा। वे दोनों जब वापस स्कूल पहुंचे तो दोस्तों ने पूछा तुम कहां गए थे? चिंकू ने बताया हमको खाने की भूख नहीं थी तो पास के जंगल में घूमने चले गए थे। जहां एक काला सांप देखा और भागते हुए स्कूल आ गए।बीच में एक बुढिय़ा दादी का गीत भी सुना और हमें बढिय़ा लगा। सब हंसने लगे।
माधव सोनी,उम्र-7वर्ष …………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………. सांप और साहस रमेश और सोहन दो नन्हे दोस्त थे। वे जंगल में खेलने गए। अचानक एक मोटी डाल से सांप लटकता दिखा। दोनों डर से पीछे गिर गए, चीखते हुए एक-दूसरे को देखा। सांप की आंखें चौड़ी थीं, और वह डाल पर फंसा प्रतीत हुआ। रमेश घबराया पर सोहन ने कहा, शायद उसे मदद चाहिए। दोनों ने साहस जुटाया। उन्होंने पास की एक लंबी डाल उठाई। धीरे-धीरे उन्होंने सांप को डाल से छुड़ाने की कोशिश की। सांप हिलने लगा और थोड़ी देर में वह नीचे उतरकर जंगल में चला गया। रमेश और सोहन राहत की सांस ली, एक-दूसरे को गले लगाया। रमेश ने सोचा डरने की बजाय समझदारी से काम लेना सही है। सोहन ने कहा, दोस्तों के साथ हिम्मत से हर मुसीबत टल सकती है। उस दिन से दोनों जंगल में सावधानी से खेलते सांप की कहानी को हंसते हुए सुनाते। गांव के बच्चे उनकी बहादुरी से प्रेरित हुए। रमेश और सोहन ने सीखा, शांति और साहस से हर डर पर जीत पाई जा सकती है।
लक्ष्य,उम्र-9वर्ष ……………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………..