केशव के पानी निकालते ही मीनल की आंखों में चमक आ गई। केशव और श्याम ने मीनल को पानी पिलाया। मीनल ने कहा कि हमें पानी को बचाना चाहिए। तीनों दोस्तों ने खुशी-खुशी पानी पिया। और उसके बाद उन्होंने पानी बचाकर सभी को पानी पिलाना शुरू किया।
मीमांसा सिंह, उम्र-11वर्ष
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पानी का महत्त्व
एक समय की बात है। रामपुर गांव में तीन दोस्त रहते थे कमल, रहमान और पिंकी। एक दिन गर्मी बहुत ज्यादा थी। तीनों दोस्त दोपहर में खेल रहे थे। उन्हें प्यास लगी तो वे पानी पीने के लिए गांव के कुएं के पास गए। कुएं से पानी निकालने के लिए उन्होंने इधर-उधर कोई बर्तन ढूंढने का प्रयास किया। अंत में उन्हें कुछ रस्सी के टुकड़े और एक लोहे का बर्तन मिला। रस्सी को जोडक़र तीनों ने कुएं से पानी निकालने का खूब प्रयास किया।
लेकिन कई बार प्रयास करने पर भी पानी निकालने में सफल नहीं हुए। फिर पिंकी की सूझबूझ से अंत में उन्होंने पानी निकाल ही लिया और दोपहर के समय में पानी पीकर अपनी प्यास मिटाकर तीनों दोस्त बहुत खुश हुए। कमल समझाने लगा कि पानी हमारे जीवन के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है।
लोकरंजन कुड़ी,उम्र-9वर्ष
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जादुई मटका
गांव में तीन दोस्त रहते थे- अजीत, राजू और सीमा। उन्हें खेलना बहुत पसंद था। एक दिन वे खेलते-खेलते पुरानी ईंटों की एक झोपड़ी में पहुंचे। वहां उन्हें एक मटका और लकड़ी की नली मिली। तीनों ने मिलकर उसे ‘जादुई मटका’ बना लिया। राजू ने मजाक में एक टोपी पहनी और बोला, यह जादुई मटका है। इसमें जो भी मुराद मांगी जाए, वह पूरी होती है। सीमा हंसते हुए बोली, मैं चाहती हूं कि मैं बहुत सुंदर बन जाऊं।
मुझसे सुंदर कोई न हो। राजू बोला, तो ठीक है! पहले अपनी आंखें बंद करो, मुराद मांगो और फिर इस जादुई मटके का पानी पी लो। सीमा ने आंखें बंद कीं, मुराद मांगी और मटके का पानी पीया। राजू बोला, अब पांच मिनट तक आंखें बंद करके बोलो- मटका राजा की जय! सीमा ने वैसा ही किया। इस बीच राजू दौडक़र अपनी मां का मेकअप बॉक्स ले आया। उसने मजाक में कहा, लो, बन जा सुंदर! फिर तीनों दोस्त जोर-जोर से हंसने लगे। यह पल उनके लिए हमेशा यादगार बन गया।
कृपा परमार,उम्र-13वर्ष
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जल ही जीवन
एक समय की बात है। एक छोटे से गांव में तीन दोस्त रहते थे रामू, श्यामू और पिंकी। एक दिन वे दोपहर में खेल रहे थे। जब उन्हें प्यास लगी, तो वे गांव के कुएं पर पहुंचे, तो पिंकी को कुएं से पानी निकालने में दिक्कत हो रही थी क्योंकि वह छोटी थी। रामू और श्यामू ने मिलकर पिंकी की मदद करने का फैसला किया।
रामू कुएं की मुंडेर पर बैठ गया और श्यामू ने बाल्टी को कु एं में डाला। श्यामू ने बाल्टी को ऊपर खींच और रामू ने उसमें से पानी लेकर पिंकी को पिलाया। पिंकी ने खुशी-खुशी पानी पिया और तीनों दोस्त अपनी प्यास बुझााकर खुश हुए। सीख मिलती है कि खुद से पहले दूसरों के बारे में सोचना चाहिए।
शिवी गहलोत,उम्र-11वर्ष
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दूसरों की सेवा में सच्चा सुख
एक समय की बात है। गर्मी काफी पड़ रही थी। एक गांव के कुछ बच्चे खेलने के बाद बहुत थक गए थे। तभी उन्हें कुएं के पास से आवाज सुनाई दी। वहां एक छोटी-सी लडक़ी खुशु प्यासी खड़ी थी। वह इतनी प्यासी थी कि उसके होंठ सूख गए थे। उसी समय दो लडक़े प्रशांत और लोकेश, कुएं पर पानी निकालने आए।
उन्होंने देखा कि लडक़ी कितनी परेशान है। प्रशांत ने तुरंत घड़ा उठाया और कुएं से ठंडा पानी निकाला। लोकेश ने उसे सहारा दिया ताकि वह आराम से पानी पी सके। पानी पीकर लडक़ी खुशु की जान में जान आई। उसने दोनों लडक़ों को धन्यवाद दिया। लोकेश और प्रशांत ने महसूस किया कि दूसरों की मदद करने में कितनी खुशी मिलती है। उस दिन से वे हमेशा एक-दूसरे की और गांव वालों की मदद करने के लिए तैयार रहते थे। यह देखकर गांव के बाकी बच्चे भी दूसरों की मदद करने लगे। इससे पूरा गांव खुशहाल हो गया।
मायावती प्रजापत,उम्र-7वर्ष
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सोच बड़ी रखो
एक प्यारी सी बच्ची रिया अपने मम्मी-पापा के साथ एक शहर में एक बड़े से घर में रहती थी। एक दिन वह परिवार समेत पिकनिक मनाने पास के एक जंगल में गई। वहां पर एक लडक़ा और लडक़ी लकडिय़ां इकठ्ठा करते हुए दिखाई दिए। जब रिया ने अपनी मम्मी से उनके साथ खेलने की इच्छा जताई तो उसकी मम्मी ने मुंह बनाते हुए कहा, वो कितने गंदे है और तुम्हे भी गंदा कर देंगे। तुम उनके साथ नहीं खेलोगी और ये कह कर मना कर दिया।
रिया बहुत उदास हुई और अकेली खेलने लगी। खेलते-खेलते वह अपने मम्मी पापा से दूर निकल गई और वापसी का रास्ता भूल गई और रोने लगी, उसने इधर-उधर देखा तो उसे एक छोटा सा घर दिखा जिसके आगे कुआं बना हुआ था। वह पास में गई तो देखा ये घर लकडिय़ां इकठ्ठा करने वाले लडक़े और लडक़ी का था। रिया को देख कर वह समझ गए कि ये रास्ता भूल गई है और उन्होंने फटाफट से उसको कुएं से निकाल कर ठंडा पानी पिलाया और उसको कुछ खाने को दिया। इतने में रिया के मम्मी पापा उसको ढूंढते हुए आए और रिया को सही सलामत देख खुश हो गए। रिया की मम्मी को अपनी गलती का एहसास हुआ कि किसी भी इंसान की सोच ही उसको अमीर या गरीब बनाती है ना कि उसका पहनावा।
सीरत कौर,उम्र-12वर्ष
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मदद का सच्चा सुख
गर्मियों की दोपहर थी। सूरज तप रहा था। तीन दोस्त- अंश, पायल और रोहन खेतों की सैर पर निकले थे। तेज धूप में चलते-चलते वे प्यास से बेहाल हो गए। तभी उन्हें एक पुराना कुआं दिखा, जिसके पास छांव भी थी। रोहन ने कुएं से घड़ा खींचा, पायल ने घड़ा थामा और सबसे पहले अंश को पानी पिलाया, क्योंकि वह सबसे छोटा था और बहुत थक गया था। तीनों ने मिल-बांटकर पानी पिया और एक-दूसरे की मदद की।
उन्हें बहुत सुकून मिला कि उन्होंने समय रहते सही कदम उठाया और सभी की प्यास बुझाई। उन्हें एहसास हुआ कि प्यास बुझाना भी एक पुण्य का काम है और जरूरतमंद की मदद करना सबसे बड़ा धर्म होता है। उन्होंने तय किया कि गांव के बाकी बच्चों को भी इस कुएं के बारे में बताएंगे, ताकि कोई भी प्यासा न रहे।
हनिशा रेहानिया,उम्र-8वर्ष
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जल सेवा से मिली मन को शीतलता
गोलू की गर्मियों की छुट्टियां इस बार कुछ खास रहीं। वह अपने ननिहाल गया, जहां उसके नाना जी एक प्याऊ चलाते थे। गोलू ने जब देखा कि नाना जी कितनी श्रद्धा और प्रेम से लोगों को पानी पिलाते हैं, तो वह भी मदद करने के लिए आगे आया। सुबह से दोपहर तक वह प्याऊ पर खड़ा होकर राहगीरों, बच्चों, बुज़ुर्गों और मजदूरों को ठंडा पानी पिलाता रहा।
प्यासे लोगों के चेहरे पर ताजगी और धन्यवाद की मुस्कान देख कर उसके मन को गहरी शांति और खुशी मिली। उसे समझ आया कि जल सेवा केवल पानी पिलाना नहीं, बल्कि यह तो पुण्य का कार्य है । उस दिन गोलू ने अनुभव किया कि सच्ची खुशी दूसरों की सेवा करने में ही मिलती है। छुट्टियां खत्म होने के बाद जब वह अपने घर लौटा, तो निश्चय कर चुका था कि वह हर साल गर्मियों में नाना जी के साथ प्याऊ पर सेवा करेगा। जल सेवा ने सच में गोलू के मन को शीतलता दी ।
कार्तिक कुमावत,उम्र-9 वर्ष
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नई दोस्ती की शुरुआत
एक लडक़ी रानी थी। एक दिन दोपहर में वह अपने स्कूल के होमवर्क के प्रोजेक्ट का सामान लेने बाहर निकली। उसे बहुत प्यास लग रही थी। तभी रानी को एक कुआं दिखा। रानी पानी पीने के लिए पास गई, तो वहां दो बच्चे पीटर और परी पहले से बैठे थे। पीटर ने मुस्कुराकर कहा, आओ, साथ में पानी पीते हैं।
तो परी ने जल्दी से घड़ा भरकर रानी को पानी पिलाया। रानी ने पानी पिया और उन्हें धन्यवाद कहा। फिर तीनों बैठकर बातें करने लगे। पता चला रानी उनके ही कॉलोनी के नए मकान में रहने आई थी। उन सबने मिलकर खूब मस्ती की और साथ खेले। उस दिन से वो तीनो अच्छे दोस्त बन गए। सीख- नई दोस्ती कभी भी और कहीं भी शुरू हो सकती है- बस दिल से जुडऩे की चाह होनी चाहिए।
सुयश व्यास, उम्र-9वर्ष