हमारी नर्सेस हमारा भविष्य कैसे ? नर्स एक प्रशिक्षित, पंजीकृत स्वास्थ्य दल की सदस्य हैं, जो मरीजों की देखभाल और स्वास्थ्य सेवाओं के प्रशासनिक प्रबंधन में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।विश्व स्वास्थ्य संगठन 2020 की एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व में 6 मिलियन नर्सेस की कमी है। हाँकेन स्टेड एट अल 2022 के शोध के अनुसार यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज एवं स्वास्थ्य की बढ़ती मांगों की पूर्ति हेतु लगभग 30 मिलियन और नर्सेस की आवश्यकता है। इंडियन नर्सिंग काउंसिल 2020 के आकड़ों के अनुसार हमारे देश में 21,51,850 पंजीकृत नर्सेज है और 1000 की जनसंख्या पर 1.7 नर्सेज स्वाथ्य सेवा हेतु उपलब्ध है। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन 1000 की जनसंख्या पर 2.5 नर्सेज के अनुपात की सिफारिश करता है। अर्थात् नर्सिंग कर्मियों कि संख्या बहुत कम है, जिसका स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हैं।
नर्सिंग प्रोफेशन में निवेश करने के क्या आर्थिक लाभ है ? मैकिंसे 2025 के शोध अनुसार नर्स कार्य दल का दुनिया के लेबर फ़ोर्स में 25% हिस्सेदारी है। नर्सेज के द्वारा 100-300 बिलियन डॉलर की पूँजी अर्जित की जाती है। नर्सिंग कार्यबल को मजबूत करने से प्रभावी आर्थिक विकास होते हैं, जिससे देश का सर्वांगीण विकास होता है। वैश्विक स्तर पर निम्न स्वास्थ्य सुविधाएँ 15 प्रतिशत की GDP में गिरावट लाती हैं, किंतु स्वास्थ्य तंत्र एवं नर्सिंग कार्यबल में निवेश कर इस गिरावट से उबरा जा सकता है। अगर स्वास्थ्य क्षेत्र में 1 डॉलर का निवेश जाता है तो 2-4 डॉलर का लाभ है। नर्सिंग कार्यबल में उचित निवेश हो तो प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएँ और उन्नत एवं कुशल होती है।
फलस्वरूप वैश्विक स्तर जीवन प्रत्याशा लगभग 3.7% तक वर्ष 2023 की अवधि तक वृद्धि की जा सकेगी। साथ ही स्वास्थ्य सेवाएँ हर व्यक्ति तक पहुँचाई जा सकेगी। ऐसे चिकित्सालय जहाँ दक्ष नर्सेस बड़ी संख्या में कार्यरत होती है, वहां मरीज़ों की मृत्यु दर कम होती है। मरीज़ों के भर्ती रहने के दिनों की संख्या में कटौती होती है और मरीज़ों को बार-बार भर्ती नहीं करना पड़ता है। साथ ही मरीज़ों की सुरक्षा बढ़ जाती है, अतः नर्सिंग कार्यबल में निवेश करने से मरीज़ों का स्वास्थ्य बेहतर होता है, स्वास्थ्य संबंधी ख़र्चे कम होते हैं एवं स्वास्थ्य संसाधनों का सदुपयोग होने के साथ ही स्वास्थ्य तंत्र मज़बूत बनता है।
स्वास्थ्य तंत्र का अहम हिस्सा होने के बावजूद नर्सेज के योगदान को उचित अहमियत नहीं दी जाती है। यूरो न्यूज़ 2023 के मुताबिक़ 50% से ज़्यादा नर्सेज अपनी नौकरी छोड़ना चाहती हैं। वू एट अल 2020 के मुताबिक़ 10 में से 1 नर्स में नौकरी के बर्न आउट संबंधित लक्षण देखे गए हैं। लंबी बोझिल थकान वाली शिफ्ट, उचित रोज़गार एवं मानदेय ना मिलना, पदोन्नति के सीमित अवसर, समाज का नकारात्मक दृष्टिकोण सहित अनेक चुनौतियों का सामना उन्हें करना पड़ता है। ऐसा माना जाता है कि चुनौतियों में संभावनायें छिपी होती हैं और संभावनाओं को यथार्थ करने पर मनुष्य, समाज और राष्ट्र का कल्याण होता है। आइये प्रण करे कि रोगियों की सेवा करने वाली नर्सेस की भी हम परवाह और सम्मान कर समानता का दर्जा दे।
डॉ. ममता वर्मा,
पीएचडी, TISS, मुंबई (यह लेखिका के निजी विचार हैं)