रणनीतिक गहराई और योजना: “3-4 कदम आगे”
मेजर जनरल (रिटायर्ड) एसबी अस्थाना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की रणनीतिक गहराई की सराहना करते हुए कहा कि भारत इस ऑपरेशन में “3-4 कदम आगे” था। उन्होंने बताया कि इस कार्रवाई की सफलता के लिए खुफिया जानकारी का सटीक उपयोग, हमले का सही समय, और तीनों सेनाओं—थल सेना, वायुसेना, और नौसेना—के बीच बेमिसाल समन्वय महत्वपूर्ण रहा। अस्थाना ने बताया कि भारत ने बहावलपुर, मुरीदके, सियालकोट और PoK में आतंकी ठिकानों की सटीक स्थिति का पता लगाया और प्रेसिजन मिसाइलों, लोइटरिंग म्यूनिशन्स, और संभवतः ड्रोन्स का उपयोग कर उन्हें नष्ट किया। सटीक खुफिया जानकारी और समय का महत्व
ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) केजी बेहल ने कहा कि खुफिया एजेंसियों ने आतंकी ठिकानों की सटीक जानकारी प्रदान की, जिसके आधार पर यह कार्रवाई संभव हो पाई। उन्होंने बताया कि भारत ने रात के समय (2 बजे) हमला करके आश्चर्य का तत्व बनाए रखा, जिससे आतंकियों को प्रतिक्रिया देने का मौका नहीं मिला। बेहल ने यह भी जोड़ा कि भारत ने अपनी सीमाओं के भीतर रहते हुए कार्रवाई की, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि यह हमला “संयमित और गैर-उत्तेजक” रहे।
तीनों सेनाओं का समन्वय और तकनीकी श्रेष्ठता
ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) हेमंत महाजन ने ऑपरेशन की तकनीकी और सामरिक सफलता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस कार्रवाई में सेना, नौसेना और वायुसेना ने मिलकर काम किया। उन्होंने बताया कि भारत ने अलग-अलग स्थानों से मिसाइलें दागीं, जो अपने लक्ष्य तक तेजी से पहुंचीं। इन मिसाइलों ने आतंकी संगठनों के प्रशिक्षण शिविर, रहने की जगह, मस्जिद, मदरसे और कॉन्फ्रेंस क्षेत्रों को पूरी तरह नष्ट कर दिया। महाजन ने कहा, “इस हमले ने आतंकियों का मनोबल तोड़ा है। पाकिस्तान ने भी नुकसान की बात स्वीकारी है।”
पहलगाम हमले का जवाब और रणनीतिक संदेश
राहुल भोंसले, डायरेक्टर, सिक्योरिटी रिस्क्स एशिया, ने कहा कि पहलगाम हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अन्य मंत्रियों के बयानों से स्पष्ट था कि भारत आतंकी ढांचों को निशाना बनाएगा। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने इस संकल्प को साकार किया। भोंसले ने कहा, “भारत ने पाकिस्तान को सैन्य संदेश दिया है कि वह जम्मू-कश्मीर और भारत में आतंकी हमले बर्दाश्त नहीं करेगा। अगर तनाव बढ़ता है, तो जिम्मेदारी पाकिस्तान की होगी।”
ऑपरेशन पराक्रम के अनुभव का योगदान
ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) पृथपाल सिंह चंधोल, जो ऑपरेशन पराक्रम और सियाचिन कार्रवाई में शामिल रहे, ने कहा कि ऐसी कार्रवाइयां आतंकवाद को रोकने के लिए जरूरी हैं। उन्होंने कहा, “अगर हम जवाब नहीं देंगे, तो ऐसे हमले दोहराए जाएंगे। रक्षा बल इसके लिए हैं, और उन्होंने इसका सही उपयोग किया।” चंधोल ने भारत की कार्रवाई का पूर्ण समर्थन करते हुए कहा कि यह हमला निंदनीय आतंकी घटनाओं का जवाब है, जिसे कोई भी देश बर्दाश्त नहीं कर सकता। सफलता के प्रमुख तत्व
रक्षा विशेषज्ञों ने ऑपरेशन की सफलता के लिए निम्नलिखित रणनीतियों को रेखांकित किया:
- सटीक खुफिया जानकारी: भारतीय खुफिया एजेंसियों ने आतंकी ठिकानों की सटीक लोकेशन और उनकी गतिविधियों की जानकारी प्रदान की।
- प्रेसिजन हथियार: भारत ने उन्नत मिसाइलों और ड्रोन्स का उपयोग किया, जो कम से कम समय में लक्ष्य को नष्ट करने में सक्षम थे।
- आश्चर्य का तत्व: रात के समय हमले ने आतंकियों को प्रतिक्रिया देने का मौका नहीं दिया।
- तीनों सेनाओं का समन्वय: सेना, नौसेना और वायुसेना ने एकजुट होकर ऑपरेशन को अंजाम दिया।
- राजनीतिक इच्छाशक्ति: प्रधानमंत्री मोदी द्वारा सशस्त्र बलों को दी गई “पूर्ण परिचालन स्वतंत्रता” ने ऑपरेशन को निर्णायक बनाया।
पाकिस्तान को कड़ा संदेश
ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल आतंकी ढांचों को नष्ट किया, बल्कि पाकिस्तान को यह भी दिखाया कि भारत आतंकवाद को पनाह देने वालों को उनके गढ़ में घुसकर जवाब दे सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस कार्रवाई ने जैश, लश्कर और हिजबुल के मनोबल को तोड़ा है और पाकिस्तान को अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर किया है। जैसा कि ब्रिगेडियर महाजन ने कहा, “संयुक्त राष्ट्र हमें संयम बरतने की सलाह दे रहा था, लेकिन क्या आतंकी हमला करने से पहले कुछ सोचते हैं? हमने दिखा दिया कि जरूरत पड़ने पर हम कार्रवाई करेंगे।”