निमंत्रण का तरीका बताता है नोतरा क्यों नोतरा से शादी-ब्याह, बीमारी, मकान निर्माण जैसे कार्यों में आर्थिक सहायता मिलती है। ग्रामीण बताते हैं कि अलग-अलग आयोजन में निमंत्रण का तरीका अलग-अलग होता है। शादी या अन्य मांगलिक कार्यक्रम में निमंत्रण पत्र या पीले चावल दिए जाते हैं। यदि अन्य किसी कार्य से नोतरा किया जा रहा है तो कुंकुंम चावल दिए जाते हैं। मृत्यु भोज के लिए नोतरा नहीं हो सकता।
छोटे-बड़े का भेद नहीं, नोतरा जरूरी समाज में गरीब-अमीर, छोटे-बड़े के भेदभाव के बिना नोतरा करना सभी के लिए आवश्यक है। नोतरा का लेखा जोखा गांव का शिक्षित व्यक्ति रखता है। अलग-अलग परिवारों में नोतरा के आयोजन पर अन्य परिवार पिछली बार उनके यहां नोतरा में दी गई रकम को बढ़ाकर संबंधित परिवार को सहयोग देता है। इससे कुल मिलाकर नोतरे की रकम बढ़ती रहती है।———
मदद के साथ सामाजिक बंधन मजबूत ‘नोतरा प्रथा बहुत उपयोगी है। किसी भी आयोजन में गांव-समाज की भागीदारी से मदद भी मिलती है और सामाजिक बंधन भी मजबूत होता है। आदिवासी परिवार के लिए कोई भी आयोजन आर्थिक बोझ नहीं बनता।’ – लालसिंह मईड़ा, स्कूल व्याख्याता, कुशलगढ़